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सुविधाएं मिलने के बावजूद पशुगणना में पिछड़ी मनपा, 8 फीसदी लोगों तक ही पहुंची टीम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। डिजिटल पशुगणना का कार्य इन दिनों किया जा रहा है। कामों का बोझ बताकर यहां भी मनपा कर्मी पिछड़ते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि सारी सुविधाएं मिलने के बावजूद तय अवधि में गणना नहीं हो पा रही है। नागपुर के पशु संवर्धन विभाग को 1 नवंबर 2018 से शुरू हुई गणना 31 जनवरी 2019 तक पूरी करनी थी, लेकिन इस अवधि में गणना पूरी नहीं होने की संभावना को देखते हुए सरकार ने इसकी अवधि 31 मार्च 2019 तक बढ़ा दी थी।
पशुसंवर्धन विभाग को पुरानी सूची के अनुसार जिले के 10 लाख पशुपालक परिवारों तक पहुंचना है। इसके लिए विभाग ने 25 प्रभारी अधिकारी, 92 पर्यवेक्षक, 289 प्रगणकों की नियुक्ति का दावा किया है। प्रगणकों को 260 टैबलेट्स 260 सिम कार्ड और इतनी ही संख्या में पॉवर बैंक वितरित किए गए हैं। इस काम के लिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में प्रगणकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। नागपुर शहर में मनपा के पशुचिकित्सा विभाग को 5 लाख 27 हजार पशुपालक परिवार तक पहुंचना है। जबकि मनपा अब तक केवल 8 फीसदी यानि 42 हजार 160 परिवारों तक ही पहुंच पायी है। मार्च समाप्त होने में 4 दिन रह गए हैं, ऐसे में पशुसंवर्धन विभाग द्वारा लक्ष्य पूरा करने पर सवालिया निशान लग रहा है।
सेंट्रल सर्वर से जुड़ा
डिजिटल पशुगणना सेंट्रल सर्वर से जुड़ा है। केंद्र सरकार ने 20वीं पशुगणना करने के लिए 2017 में 1 जुलाई से 31 अक्टूबर तक का समय तय किया था। राज्य सरकार के पशुसंवर्धन विभाग को इसका निर्देश भी दिया गया था, लेकिन यह गणना डिजिटल करने की घोषणा की गई थी। इसके लिए सरकार के नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) को नया एप विकसित करना था। एनआईसी ने पशुगणना से संबंधित नया एप विकसित कर एक फॉर्मेट तैयार किया। समय-समय पर एप को आवश्यकतानुसार अपग्रेड करना पड़ा था। डिजिटल गणना के लिए सभी प्रगणकों को टैबलेट्स देना था। यह जिम्मेदारी सरकार की थी। इनमें गणना से संबंधित एप डाउनलोड करना अनिवार्य था, लेकिन सरकार सालभर तक प्रगणकों को टैबलेट्स उपलब्ध नहीं करा पायी।
मैपिंग के अनुसार हो रहा काम
पशुगणना के लिए रोड मैप तैयार किया गया है। हरेक को उसके अनुसार पशुपालक परिवारों के नामों की सूची उपलब्ध करायी गई है। यह मैपिंग 2011 में हुई पशुपालक परिवारों की सूची के आधार पर हो चुकी है। इसी सूची के आधार पर ही इस बार पशुगणना की जा रही है। इसमें कुछ परिवार घटने या बढ़ने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि कुछ गांव योजनाओं के कारण दूसरे स्थान पर पुनर्वासित किए गए हैं। वहीं कुछ पशुपालकों ने यह काम बंद कर दिया है। कुछ ग्रामीण रोजगार के कारण स्थलांतरित हो चुके हैं। एक प्रगणक को कम से कम 4 हजार परिवारों की जिम्मेदारी दी गई है। यह सारा डेटा प्रगणकों के पास उपलब्ध टैबलेट्स में है। जब कोई प्रगणक किसी परिवार की जानकारी पर्यवेक्षक और प्रभारी अधिकारी को देगा और उसकी क्रास चेकिंग के बाद उसे सेंट्रल सर्वर के साथ जोड़कर जानकारी भेजेगा तो भेजे गए सारे विवरण अपने आप टैब से डीलीट हो जाएंगे। यानि रिवर्स का कोई ऑप्शन नहीं है। इस कारण गणना में बाद में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। 2011 की पशुगणना के अनुसार नागपुर जिले में गाय वर्ग के 5 लाख 52 हजार 914, भेड़-बकरियां 2 लाख 73 हजार 53, घोड़े, गधे, खच्चर आदि 601, सुअर 6896, कुत्ते 48743, खरगोश 889 व कुक्कुटवर्गीय पक्षी 2 लाख 72 हजार 868 थे।
नहीं मिला प्रतिसाद
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए पशुसंवर्धन विभाग की जिला उपायुक्त डॉ. मंजूषा कुंडलिक से संपर्क करने पर उन्होंने मीटिंग में होने की जानकारी दी। बाद में कोई प्रतिसाद नहीं मिला।
इस संबंध में जल्द बैठक ली जाएगी
पशुगणना को लेकर मनपा प्रशासन गंभीर है। अभी तक शहर में 8 प्रतिशत गणना हो चुकी है। इस संबंध में पशु संवर्धन विभाग के अधिकारियों से चर्चा हो चुकी है। पशुचिकित्सा विभाग के डॉ. महल्ले को इस बारे में बताया गया है। उन्हें पशुगणना को लेकर एक बैठक आयोजित करने को कहा था, लेकिन यह बैठक नहीं हो पायी है। इस बारे में जानकारी लेकर जल्द बैठक ली जाएगी। सेंट्रल सर्वर बंद होने के बाद भी समयावधि बढ़ाने का कोई न कोई विकल्प निकाला जाएगा। पशुगणना पूरी करने के लिए मनपा प्रयासरत है।
- डॉ. राम जोशी, अतिरिक्त आयुक्त मनपा
Created On :   26 March 2019 3:39 PM IST