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मंदिरों में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा, आकर्षण सजावट व महाप्रसाद
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कृष्ण पक्ष अष्टमी (कालाष्टमी) पर मंगलवार को शहर में अनेक मंदिरों में भगवान शिव के रौद्र रूप काला भैरव की पूजा की जा रही है। माना जाता है कि इस दिन का व्रत रखने से सभी नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं।
शिव पुराण में बताया गया है कि शिवजी हर कण में विराजमान हैं। इस वजह से शिवजी ही इन तीन गुणों के नियंत्रक माने गए हैं। शिवजी को आनंद स्वरूप में शंभू, विकराल स्वरूप में उग्र और सत्व स्वरूप में सात्विक भी पुकारा जाता है। मान्यताओं के अनुसार शिव के अपमान स्वरूप मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस तिथि को कालभैरव अष्टमी नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने पापियों को दंड देने के लिए रौद्र रुप धारण किया था।
भगवान शिव के दो रूप हैं एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। बटुक भैरव रूप अपने भक्तों को सौम्य प्रदान करते हैं और वहीं काल भैरव अापराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में कभी भूत-पिशाच या किसी बुरी नजर का साया नहीं पड़ता है।
मंदिरों में जयंती महोत्सव
केलीबाग रोड, राजविलास टॉकीज, महल स्थित कालभैरव मंदिर में जयंती महोत्सव 19 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह 8 बजे श्री कालभैरव का अभिषेक किया गया। । दोपहर 12 बजे आरती के पश्चात महाप्रसाद वितरण किया जा रहा है। कालभैरव मंदिर की आकर्षक रोशनाई की गई है। फूलों की सेज लोगों को आकर्षित कर रही है। । प्रीतम बत्रा द्वारा भक्तिमय संगीत एवं भजनों का कार्यक्रम पेश किया जा रहा है । शाम 7 बजे महाआरती होगी। गोपालकाला के प्रसाद का वितरण किया जाएगा।
जरीपटका
मां भगवती माता मंदिर, ओम आदर्श दुर्गा मंडल, गोविंदनगर, जरीपटका में काल भैरव जयंती पर सुबह 7 बजे अभिषेक िकया जाएगा। रात 8 बजे आरती व संगीतमय एवं भजनों का कार्यक्रम होगा। बाद में प्रसाद िवतरण िकया जाएगा। संयोजक अशोकदास ने उपस्थिित की अपील की है।
Created On :   19 Nov 2019 11:50 AM IST