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धर्मसभा में मुनिश्री ने कहा-संस्कार ही जाति और गुणों का देते हैं परिचय
डिजिटल डेस्क,शहडोल। उच्च जाति में पैदा होने पर कोई व्यक्ति उच्च नहीं हो जाता। उच्च जाति में पैदा होने के साथ-साथ उसको अच्छे गुणों की प्राप्ति करनी होती है और अच्छे गुणों की प्राप्ति अच्छे संस्कारों से होती है। अच्छे संस्कार अच्छी संगति से प्राप्त होते हैं। अगर कोई व्यक्ति उच्च जाति में पैदा हुआ है किंतु वह अच्छे गुणों का पालन नहीं करता है, अच्छे संस्कार को अपने जीवन में धारण नहीं करता है तो वह जाति से भले ही उच्च हो किंतु वह कुछ नहीं हो सकता।
उक्त उद्गार मुनि श्री 108 सुव्रतसागर जी महाराज ने 1008 श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर शहडोल के पारस विद्या भवन में प्रतिदिन आयोजित की जाने वाली धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि श्री ने कहा कि हम भले ही किसी जाति में पैदा हुए हों, किंतु अगर अच्छे संस्कारों का पालन करते हैं तो अच्छे गुण भी हमारे अंदर आ सकते हैं। मुनि श्री ने यह भी बताया कि अगर हम अपने जीवन में अच्छे संस्कारों को प्राप्त नहीं करते हैं तो हमें जो प्राप्त जीवन है वह पर्याप्त नहीं होगा और अनादि काल से अनंत काल तक हम संसार में भ्रमण करते रहेंगे। आज का पूरा समाज ही नहीं अपितु पूरा देश, पूरा विश्व संस्कारों से रहित होता हुआ जीवन में काम कर रहा है। व्यक्तियों के जीवन में जातियों के नाम पर भेदभाव तो हो रहा है, किंतु गुणों का ह्रास हो रहा है।
अगर हम गुणों को संभालेंगे तो जातियां अपने आप संभल जाएंगे। किंतु हम दोनों के बारे में विचार नहीं करते हैं ना ही संस्कार के बारे में विचार करते हैं। हमें विश्व का माहौल बदलना हो तो उसकी शुरुआत हमें अपने आप को बदलने से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कारों के अभाव में हमारे यहां गाय बैल भी हमारी जाति के होते हैं, किंतु उनमें बहुत भेद भिन्नता होती है। अगर ऐसे जानवरों को संस्कार मिल जाए तो उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। किंतु अगर संस्कार प्राप्त करने में मनुष्य अग्रणी हो जाए तो वह भले ही भगवान बनें अथवा ना बने किंतु जानवर बनने से तो बच ही जाएगा। इसलिए हमें अपने जीवन में संस्कारों को प्राप्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
Created On :   17 Oct 2022 1:56 PM IST