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साल के मध्य बूंद-बूंद को तरसने की आई नौबत, सबसे बड़े जलसंकट का गवाह बना शहर
डिजिटल डेस्क, नागपुर । गुजरता वर्ष 2019 नागपुर महानगरपालिका के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। खट्टी-मीठी यादों के साथ कई रोचक किस्से और कहानियां छोड़ गया। ये किस्से-कहानियां भविष्य में उदाहरण के तौर पर पेश की जाएंगी। वर्ष 2019 खास इसलिए भी रहा कि, मनपा को पहली बार शहरवासियों को एक दिन अंतराल से जलापूर्ति करने की नौबत आयी। मई-जून-जुलाई में शहर को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ा। इसी साल संदीप जोशी-मनीषा कोठे को महापौर-उपमहापौर पद की जिम्मेदारी मिली, लेकिन इसमें भाजपा की आतंरिक कलह चरम पर आ गई।
यह मामला थमा भी नहीं था कि, बंटी कुकड़े के परिवहन समिति सभापति पद से अचानक इस्तीफे ने पार्टी में सुगबुगाहट को और तेज कर दिया। इथेनॉल आधारित ग्रीन बसों का अचानक शहरों से गायब होना भी कई सवालों को जन्म दे गया। वर्ष अंत के करीब था कि, ठीक दिसंबर के बीच महापौर संदीप जोशी के वाहन पर अज्ञात हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। मनपा की इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कर्मचारी साल भर निराश रहे। मनपा बजट में उनके लिए सातवें वेतनमान की सिफारिशें लागू करने की घोषणा होने के बावजूद उनके हाथ खाली रहे।
एक दिन अंतराल से जलापूर्ति
शहरवासी और मनपा के लिए यह साल की सबसे बड़ी खबर रही। शहर अब तक सबसे बड़े जलसंकट का गवाह बना। पहली बार शहरवासियों को एक दिन अंतराल में जलापूर्ति करने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2018 में अपर्याप्त बारिश के कारण शहर को जलापूर्ति करने वाले तोतलाडोह जलाशय में इस साल के जनवरी से ही पानी घटना शुरू हो गया था। अप्रैल आते-आते तोतलाडोह जलाशय डेड-स्टॉक में पहुंच गया।
2006 के बाद पहली बार शहर ने सरकार से डेड-स्टॉक से पानी लेने की अनुमति मांगी। मौसम विभाग ने पहले ही बारिश विलंब से आने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में चिंताएं और बढ़ गईं। मनपा सत्तापक्ष और प्रशासन ने शहर को एक दिन अंतराल से जलापूर्ति करने का निर्णय लिया। मानसून आगे खिसकता रहा और शहर की बेचैनी बढ़ती रही। आखिरकार 15 अगस्त के बाद शहर ने राहत की सांस ली। मध्यप्रदेश में इतनी बारिश हुई कि, चौरई बांध से लगातार पानी छोड़ना पड़ा और किसी समय डेड-स्टॉक में पहुंच चुका तोतलाडोह अचानक लबालब हो गया। स्थिति यह बनी कि, तोतलाडोह से भी पानी छोड़ने की नौबत आ गई।
Created On :   27 Dec 2019 1:42 PM IST