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काम दिलाने के नाम पर 600 कामगारों से वसूल लिए सवा लाख रूपये
डिजिटल डेस्क कटनी । भोपाल में ईओडबलू की कार्यवाही के बाद स्मार्ट कटनी की स्मार्ट सुविधाओं में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नाम पर गड़बड़ी के संकेत अब नगर निगम कमिश्नर और थाने में पहुंच गया है। शहर में निवासरत कामगार महिला और पुरुष को प्रशिक्षण दिलाने के नाम पर खोला गया यह केन्द्र एक वर्ष से शो-पीस बना हुआ है। 1 अगस्त 2018 को नगर निगम के अधिकारियों ने कंपनी के साथ मिलकर फीता काटते हुए इसे शुभारंभ किया। जिसमें यह कहा गया था कि इस केन्द्र से कामगारों के दिन फिरेंगे, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी शहर के कामगारों के दिन नहीं फिर सके हैं। इस दौरान कंपनी ने पंजीयन के नाम पर प्रत्येक कामगारों से 200 रुपए का फीस भी जमा कराया। इसके बावजूद किसी के हाथ में काम नहीं लगा। इसकी सुगबुगाहट जब कार्यालय में शुरु हुई, तो कंपनी में काम करने वाले स्थानीय लोगों को ही कम मानदेय देते हुए उन्हें कंपनी से बाहर निकालने की धमकी तक दे डाली।
समूह को भी नहीं कर सके तैयार
शहरी क्षेत्र की महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें भी स्वरोजगार से जोडऩा था। इसके बावजूद यह काम भी शहर में नहीं हो सका। जिसकी तस्वीर इस केन्द्र मेंआसानी से देखने को मिल सकती है। टेबल में ग्रामीण क्षेत्र की महिला समूहों के द्वारा बनाए गए कई तरह के उत्पाद हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र की महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पाद में सिर्फ थैला ही दिखाई दे रहा है।
योजना के नाम पर कार्यालय
इस कार्यालय का संचालन ल्यूकेटिव इंडिया ऑनलाईन सर्विस के द्वारा किया जा रहा है। इसके बावजूद कंपनी का नाम साइलेंट रखा गया है। डे-एनयूएलएम के नाम पर कंपनी ने एक बोर्ड लगा दिया। शहरी आजिविका का बोर्ड देखने के बाद लोग भ्रमित होकर यहां पहुंचे और पंजीयन कराए। सबसे बड़ी बात यह रही कि साल भर से अधिक समय से यह केन्द्र संचालित होता रहा। इसके बावजूद प्रशासन के अधिकारियों को इतना समय नहीं मिला कि जिस कंपनी को वे कामगारों के लिए लेकर आए हैं। वहां पर जाकर यह पता कर लें कि इससे कितने लोगों को काम मिला है।
दस तरह के रहे काम
यहां पर शहर के हुनरमंदों के लिए दस प्रकार के काम रखे गए थे। जिसमें इलेक्ट्रीशियन, कारपेन्टर, लेबर, कार रेन्टल, कम्प्यूटर रिपेयरिंग, प्लम्बर, वेल्डर, ब्यूटी, मिस्त्री और घरेलू उपकरण की सुधार के लिए काम दिया जाना था। यह काम उन लोगों से कराना था। जिन्होंने अपना पंजीयन यहां पर कराया है। इसके बावजूद पंजीयन के बाद किसी को भी काम नसीब नहीं हुआ। जबकि सभी प्रकार के कुशल और अर्धकुशल कारीगर के रोजगार हेतु यहां पर काम
करने का सपना दिखाया गया।
एक लाख की आय
इसका संचालन कंपनी को ही करना था। इसके लिए नगर निगम ने सिविल लाइन स्थित वीआईपी रोड में अपना भवन भी दिया। अधोसंरचना के नाम पर नगर निगम ने कम्प्यूटर और अन्य सामग्री भी दिए। इसके बावजूद आर्थिक रुप से कमजोर किसी भी कामगार को कोई काम नहीं मिल सका। एक वर्ष के अंतराल में यहां पर करीब 600 लोगों ने काम मिलने की आश में अपना पंजीयन कराया। एक कामगार से 200 रुपए लिए गए। इस हिसाब से केन्द्र को तो साल भर में करीब 1 लाख 20 हजार रुपए की आय प्राप्त हो गई। लेकिन आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोगों की जेब ढीली ही रह गई।
थाने पहुंची गड़बड़ी की शिकायत
कामगार मजदूरों से गड़बड़ी की शिकायत निगमायुक्त के साथ थाने पहुंच गई है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि स्थानीय स्तर के कर्मचारियों को निर्धारित मानदेय से कम मानदेय देकर उनका शोषण किया गया। इसके साथ कामगार मजदूरों से भी छलावा करते हुए उनसे पंजीयन शुल्क के नाम पर राशि वसूली
गई।
इनका कहना है
एक वर्ष तक पंजीयन का काम किया जाना था। टोल-फ्री नम्बर में जितने भी काम आए है। वे काम पंजीकृत कामगारों को ही दिए गए हैं। अब काम ही कम आए हैं, तो इसमें कंपनी क्या कर सकती है।
-बृजेन्द्र निगम, प्रबंधक (कटनी कार्यालय) ल्यूकेटिव इंडिया सर्विस
इस संबंध में एनयूएलएम के अधिकारी ही अधिक जवाब दे सकते हैं।
-आर.पी.सिंह, कमिश्नर नगर निगम कटनी
Created On :   23 Nov 2019 3:28 PM IST