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कोरोना के लिए खुद विघ्नहर्ता बनें, इस तरह घर पर ही कर सकते हैं गणपति पूजन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने कहा कि परंपरा, संस्कृति और श्रद्धा के प्रतीक गणेशोत्सव इस बार कोरोना संकट के बीच आया है। इसलिए यह त्योहार सादगी से मनाएं। उन्होंने अपील की है कि प्रतिमा लाने दो व्यक्ति से ज्यादा लोग न जाएं और विसर्जन घर में ही करें। आप खुद विघ्नहर्ता बनें और कोरोना संकट दूर करें। जिनके लिए घर में विसर्जन संभव नहीं है, उनके लिए फोन करने पर विसर्जन रथ आपके घर तक आएगा। फाेन नंबर शनिवार को जारी होने की उम्मीद है। उधर, कुछ स्थानों पर कृत्रिम टैंक लगाए जा रहे हैं। वहां सिर्फ दो लोग ही विसर्जन के लिए जाएं। वर्चुअल गणेशजी की भी प्रैक्टिस हमें करनी है। किसी भी तरह की रैली न निकालें।
आप घर पर ही इस तरह गणपति पूजन कर सकते हैं
1. सर्वप्रथम पूजा स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर कुशा के आसन पर बैठें। बाएं हाथ की हथेली में जल लें और दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली से शरीर पर जल छिड़कते हुए यह शुद्धि मंत्र पढ़ें...
ऊं अपवित्रो पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोsपिवा।
यः स्मरेतपुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मूर्ति स्थापित करें। दीपक जलाएं। रोली/कुमकुम, अक्षत, पुष्प से पूजन करें।
2. आह्वान मंत्र करें-
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः।।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।
भावार्थः इस मंत्र में गणेशजी के 12 नाम लेते हुए उनका अाह्वान है। 12 नाम- 1. सुमुख 2. एकदन्त 3.कपिल 4. गजकर्णक 5. लम्बोदर 6. विकट 7. विघ्ननाश 8. विनायक 9. धूम्रकेतु 10. गणाध्यक्ष 11. भालचन्द्र 12. गजानन।
3. अक्षत, पुष्प और वस्त्र समर्पित करें- अब जल, कच्चे दूध और पंचामृत से स्नान कराएं। नवीन वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। मिट्टी की मूर्ति हो तो सुपारी को स्नान कराएं।
4. नैवेद्य अर्पित करें- मोदक, मिठाइयां, गुड़ और फल अर्पित करें। अगरबत्ती, दीप जलाएं। इन मंत्रों का जाप करें...
ॐ चतुराय नम:। ॐ गजाननाय नम:।
ॐ विघ्नराजाय नम:। ॐ प्रसन्नात्मने नम:।
5. गणेशजी को इस मंत्र से नमन करें...
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
भावार्थ: विघ्नेश्वर, वर देने वाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओं से परिपूर्ण, जगत का हित करने वाले, गज समान मुख वाले, वेद और यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ! आपको नमस्कार।
6. आरती के बाद परिक्रमा करें और पुष्प अर्पित करें...
7. अंत में क्षमा प्रार्थना
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु।
भावार्थः हे प्रभु, मैं आपको विधिवत बुलाना, विदा करना और पूजा करना नहीं जानता। मुझे क्षमा करें। न मंत्र याद हैं और न क्रियाएं। मैं भक्ति करना भी नहीं जानता। मेरी भूलों को क्षमा कर इस पूजा को स्वीकार करें।
Created On :   22 Aug 2020 4:10 PM IST