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मुंबई में दुष्कर्म-छेड़छाड़ की घटनाओं में बढ़ोतरी, 19 फीसदी मुंबईकरों को पुलिस पर भरोसा नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बलात्कार, छेड़छाड़ और नाबालिगों के यौन उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महानगर में पांच सालों में बलात्कार के मामले 83 फीसदी, छेड़छाड़ के 95 फीसदी और तीन सालों में पाक्सो के मामले 19 फीसदी बढ़े हैं। वहीं एक सर्वे में 32 फीसदी मुंबईकरों ने बताया है कि उन्हें पुलिस और न्यायप्रणाली पर भरोसा ही नहीं है। गैरसरकारी संस्था प्रजा फाउंडेशन ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मिले वित्त वर्ष 2013-14 से 2017-18 के अपराध से जुड़े आंकड़ों के अध्ययन में पाया है कि इस दौरान हत्या के मामलों में 33 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन बलात्कार, छेड़छाड़ और पाक्सो के मामले काफी बढ़े हैं।
आंकड़ों के मुताबिक महानगर में 2013-14 में बलात्कार के 432 मामले दर्ज किए गए थे जो 2017-18 तक बढ़कर 792 तक पहुंच गए। इन्हीं पांच सालों में छेड़छाड़ के मामले भी 1209 से बढ़कर 2358 तक पहुंच गए। बलात्कार के मामलों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी दक्षिण मुंबई में हुई जहां इस दौरान 172 फीसदी ज्यादा मामले दर्ज हुए। वहीं बच्चों के यौन उत्पीड़ण की बात करें तो साल 2015-16 से 2017-18 के बीच पाक्सो कानून के तहत दर्ज किए जाने वाले मामले 891 से बढ़कर 1062 तक पहुंच गए। यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाले बच्चों में 1020 लड़कियां और 54 लड़के थे। महानगर में दंगों के मामले भी पिछले पांच सालों में बढ़े हैं साल 2013-14 के 387 के मुकाबले साल 2017-18 में दंगों के 528 मामले दर्ज किए गए।
हत्या, चोरी छिनैती में कमी
महानगर में हत्या के मामलों में 33 फीसदी की गिरावट आई है। साल 2013-14 में हत्या के 171 मामले दर्ज किए गए थे जो 2017-18 में घटकर 115 रह गए। इसी तरह महानगर में जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरों का भी असर हुआ है और चेन स्नेचिंग के मामलों में 92 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा घरों में चोरी और वाहन चोरी के मामले भी घटे हैं।
86 फीसदी मुंबईकर महसूस करते हैं सुरक्षित
प्रजा फाउंडेशन ने हंसा रिसर्च की मदद से एक सर्वेक्षण कराया, जिसमें सिर्फ 14 फीसदी मुंबईकरों ने कहा कि वे खुद को इस शहर में सुरक्षित नहीं मानते। 21 फीसदी लोग मानते हैं कि शहर में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा असुरक्षित हैं। वहीं 17 फीसदी लोग यात्रा के दौरान खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करते। प्रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी निताई मेहता के मुताबिक शहर में बढ़ते अपराध को लेकर जनप्रतिनिधियों का रवैया भी ढुलमुल है और बजट सत्र 2017 से 2018 के बीच बलात्कार जैसे गंभीर मामले के लिए सिर्फ नौ सवाल पूछे गए।
साल बलात्कार छेड़छाड़ हत्या दंगा
2013-14 432 1209 171 387
2014-15 642 1675 183 353
2015-16 728 2145 170 452
2016-17 576 2013 141 454
2017-18 792 2358 115 528
Created On :   5 March 2019 10:10 PM IST