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इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का बढ़ा तनाव, ओपन में प्रवेश लेने की नौबत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश में जारी इंजीनियरिंग व अन्य तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के इच्छुक आरक्षित प्रवर्ग के विद्यार्थियों के सामने एक समस्या हो गई है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रवर्ग के विद्यार्थी जाति प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण अपने कोटे से आवेदन नहीं भर पा रहे है। सीईटी सेल की वेबसाइट पर बगैर दस्तावेज अपलोड किए फॉर्म स्वीकार नहीं हो रहे हैं। ऐसे में विद्यार्थियों के सामने अब ओपन से ही प्रवेश लेने का विकल्प शेष है। ऐसे ही एक अभ्यर्थी ने बताया कि उसने जाति प्रमाण-पत्र के लिए कुछ माह पूर्व आवेदन किया था। लेकिन अब तक उसे प्रमाण-पत्र नहीं मिला। जिसके कारण उसे आवेदन करने में दिक्कत आ रही है। दरअसल, हाल ही में जाति वैधता प्रमाणपत्र की आवेदन प्रक्रिया में बदलाव हुआ है। विद्यार्थियों से ऑनलाइन आवेदन मंगाए जा रहे हैं। उन्हें सारे दस्तावेज ऑनलाइन ही अपलोड करने हैं। अनेक विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र नहीं मिलने से प्रवेश प्रक्रिया में दिक्कत हो रही है। यह समस्या केवल तकनीकी पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों के साथ ही नहीं है, बल्कि पारंपारिक पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों के साथ भी है।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का आधार लेते हुए राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रवर्ग के विद्यार्थियों को जाति वैधता प्रमाणपत्र के बगैर गैर-व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की आरक्षित सीटों पर प्रवेश देने से इनकार किया है। इस वजह से एमकॉम, एमए जैसे पाठ्यक्रमों में आदिवासी विद्यार्थियों काे ओपन श्रेणी से प्रवेश लेने की नौबत आ गई है। ओपन में प्रवेश लेने पर विद्यार्थियों को अतिरिक्त शुल्क भरकर छात्रवृत्ति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर लाभ लेने के मामले सामने आने पर सर्वोच्च न्यायालय ने यह प्रमाण-पत्र अनिवार्य किया है।
हमारी ओर से देरी नहीं है
जाति प्रमाण-पत्र देने में हमारी ओर से कोई देरी नहीं है। जो विद्यार्थी आवेदन भर कर पूर्ण दस्तावेज दे रहे हैं, उन्हें हम प्रमाण-पत्र बना कर दे रहे हैं। शनिवार को भी हमने अपना कामकाज शुरू रखने का निर्णय लिया है।
-आर.डी.आत्राम, समाज कल्याण उपायुक्त व जाति वैधता पड़ताल समिति सदस्य
Created On :   16 Jan 2021 4:08 PM IST