- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- कटनी
- /
- कटनी में तेजी से पैर पसार रहा...
कटनी में तेजी से पैर पसार रहा फायलेरिया
डिजिटल डेस्क कटनी । वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए हर वर्ष भारी भरकम बजट खर्च होने के बाद भी जिले में साल दर साल फायलेरिया रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रति वर्ष फायलेरिया जिसे हाथी पांव रोग से भी सामान्यत: जाना जाता है। इसकी रोकथाम पर राष्ट्रीय कार्यक्रम सहित नि:शुल्क दवा वितरण एवं जागरूकता जैसे कार्यकर्ताओं पर करोड़ों का व्यय किया जाता है। 2016-17 के राष्ट्रीय फायलेरिया सर्वे में
जिले में 32 रोगी फायलेरिया के थे जो अब बढ़कर बासठ हो गए हैं। बढ़ती रोगियों की संख्या पर भी मलेरिया विभाग सबकुछ ठीकठाक होने का दावा कर रहा है।
जमीनी प्रयासों में गंभीरता नहीं
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वेक्टर जनित रोगों पर रोकथाम के लिए जमीनी प्रयासों में जिम्मेदार बिलकुल भी गंभीर नहीं हैं। मच्छरों की उत्पत्ति पर लगाम लगाने विभाग द्वारा महीने में एकाधबार एरियों या फिर अधिकारियों के निवास स्टालों और आसपास दवा छिड़काव कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है। जिला मलेरिया विभाग की टीम को नाइट ब्लड सर्वे की जानकारी ही क्षेत्रवार लिए गए सेम्पल्स की जानकारी देने में लगातार आनाकानी करता नजर आया। सूत्र बताते हैं कि शासकीय जिला चिकित्सालय की मलेरिया विभाग की टीम इस गंभीर रोगों की रोकथाम पर लगातार मनमानी बरत रही है। जिसका सीधा खामियाजा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के आमजनों को जानलेवा रोग से ग्रस्ति कर रहा है।
रोग है जानलेवा
खुद स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदार टीम मानती है कि फायलेरिया यानि की हाथीपांव रोग जानलेवा और बेहद ही कष्टदायक बीमारी है। मादा क्यूलेक्स मच्छर के एक सामान्य व्यक्ति को कई बार काटने से यह रोग उत्पन्न होता है। वहां यह मच्छर पनपने की पूरी संभावना रहती है। मेडिकल सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि जिले के शहरी क्षेत्र सहित 6 विकास खंडों के डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांवों में नाइट ब्लड सेम्पलिंग में ली गई स्लाइड्स में बहोरीबंद एवं विजयराघवगढ़ क्षेत्र में ज्यादा मइको फायलेरिया रोगी पाए गए हैं। पिछले वर्ष तक पाजीटिव रोगियों की संख्या 32 थी। वहीं वर्तमान में 62 यानि डेढ़ गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है।
कब कब लिए गए सेम्पल
स्वास्थ्य विभाग की मलेरिया शाखा के अनुसार पिछले तीन वर्षों में जिले के 6 विकासखंडों में सर्वे के दौरान 4 सेंटीनल और 4 रेण्डम साइट के माध्यम से फायलेरिया उन्मूलन सर्वे हुआ था। इन 6 विकासखंड बहोरीबदं बड़वारा, ढीमरखेड़ा, विजयराघवगढ़, में 4091 लोगों के सेम्पल लिए गए थे। इसी तरह नाइट ब्लड सेंपल की साइट्स में 107 माइको फायलेरिया के मरीज सामने आए थे। 2016 में बहोरीबंद के सीएचसी चरगवां के भटवा टोला क्षेत्रत्र में भी सर्वे और ब्लड सेम्पलिंग के दौरान 60 रोगी माइको फायलेरिया के सामने आ चुके हैं। पिछले वर्ष बहोरीबंद विकास खंड की तेवरी में 55 मरीज, इसी तरह चार तय साइट्स देवरी हटाई में 6 कन्हवारा विजयराघवगढ़ में 20, तेवरी में 34 सहित पूर्व में रीठी बिलहरी में 15 बरही में 7 एवं शहरी क्षेत्र के वंशस्वरूप वार्ड में 6 स्लाइड, माइक्रो फायलेरिया के मामले सामने आ चुके हैं।
रोकथाम के उपाय
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वेक्टर ननित रोगों की उत्पत्ति पर लगाम ही रोकथाम की पहली सीढी है। जिम्मेदारों की उदासीनता से इस राष्ट्रीय रोग उन्मूलन कार्य की सार्थकता नहीं हो पा रही है। सूत्र बताते हैं कि न तो लगातार दवा को छिड़काव होता है न ही नाइट ब्लड सेम्पलिंग होती है। आंकड़ों की बाजीगरी और कागजी खानापूर्ति में ही विभाग के जिम्मेदार उलझे रहते हैं।
इनका कहना है
वेक्टर जनित रोगों पर नियंत्रण के लिए समय-समय पर प्रयास किए जाते हैं। इसमें दवा छिड़काव के साथ रोग नियंत्रक दवा भी बांटी जाती है।
- शालिनी नामदेव, मलेरिया अधिकारी
Created On :   10 March 2018 2:28 PM IST