तीसरी लहर में बच्चों की सुरक्षा और इलाज के लिए स्वतंत्र व्यवस्था - अजित पवार

Independent system for the protection and treatment of children in the third wave - Ajit Pawar
तीसरी लहर में बच्चों की सुरक्षा और इलाज के लिए स्वतंत्र व्यवस्था - अजित पवार
तीसरी लहर में बच्चों की सुरक्षा और इलाज के लिए स्वतंत्र व्यवस्था - अजित पवार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर में छोटे बच्चों पर खतरे की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा और इलाज के लिए स्वतंत्र व्यवस्था यथाशीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के इलाज के लिए वेंटिलेटर, दवाई और उपचार सामग्री उपलब्ध कराई जाए। सोमवार को मंत्रालय में उपमुख्यमंत्री ने कोरोना की स्थिति और प्रतिबंधात्मक उपायों की समीक्षा की। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि म्यूकर माइकोसिस बीमारी का उपचार राज्य की महात्मा जोतिराव फुले जन स्वास्थ्य योजना में किया गया है। इसके लिए आवश्यक 30 करोड़ रुपए की निधि उपलब्ध कराई गई है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 25 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने के लिए वैश्विक टेंडर जारी किए जा रहे हैं। इसके अलावा हर जिले में हवा से ऑक्सीजन तैयार करने के लिए पीएसए प्लांट लगाए जा रहे हैं। राज्य के 36 जिले में अब तक 301 पीएसए प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू है। जिसमें से 35 पीएसए प्लांट शुरू हो चुके हैं। इसके जरिए 51 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में पीएसए प्लांट लगाए जाएंगे। 240 पीएसए प्लांट लगाने के लिए कार्य आरंभ आदेश दिए गए हैं। इससे आने वाले समय में सभी पीएसए प्लांट द्वारा 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकेगा। इससे 19 हजार से अधिक ऑक्सीजन बिस्तर की जरूरत पूरी हो सकेगी। उन्होंने राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव सौरभ विजय को नए प्लांट लगाने के कामों में समन्वय रखने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हर जिले में जिलाधिकारी के जरिए ऑक्सीजन प्लांट और अस्पताल के स्तर पर टेक्निकल ऑडिट और मेडिकल ऑडिट किया जाए। उन्होंने प्रत्येक अस्पताल में ऑक्सीजन नर्स नियुक्त करने की कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिलेवार कोरोना मरीजों की संख्या के अनुपात में ऑक्सीजन वितरित किया जाए। मेडिकल ऑक्सीजन की मांग का प्रबंधन और ऑडिट किया जाए।

वन्यजीव-मानव संघर्ष को लेकर समिति गठित

उधर प्रदेश सरकार ने मानव और वन्यजीव संघर्ष के मामलों को लेकर  अंतर विभागीय, राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समिति गठित की है। राज्य स्तरीय समन्वय समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव सीताराम कुंटे होंगे। जबकि जिलास्तरीय समन्वय समिति के अध्यक्षजिलाधिकारी होंगे। सोमवार को राज्य के वन विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया। इसके अनुसार कुंटे की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय समिति में कुल 12 सदस्य होंगे। राज्य स्तरीय समिति मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं मेंकमी लाने के लिए उपाय योजना के बारे में निर्देश जारी करेगी। केंद्र सरकार के मार्गदर्शक सूचना के अनुसार लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक आधार भूत सुविधा, मानव संसाधन व निगरानी की व्यवस्था करेगी। यह समिति मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले में नुकसान भरपाई तत्काल वितरित करना भी सुनिश्चित करेगी। समिति बदले की भावना से वन्य प्राणियों पर हमले और अपराध की समीक्षा कर संबंधित विभाग को दिशानिर्देश जारी करेगी। जिला स्तरीय समन्वय समिति में कुल 17 सदस्य होंगे। इस समिति को विस्फोटक पदार्थ, जहर, विद्युत प्रवाह के जरिए वन्यजीवों के शिकार, जख्मी करने और पकड़ने की घटनाओं पर प्रतिबंध लगाना होगा। सभी संबंधित विभागों के तालमेल से मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रकरण में समय पर नुकसान भरपाई की राशि वितरण सुनिश्चित करना होगा। समिति वन्यजीव संबंधी अपराध पर प्रतिबंध लगाने, मामले को उचित तरीके से निपटाने के लिए गुप्त जानकारी जुटाने, जांच कार्य और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो समेत अन्य संस्थाओं की क्षमता को बढ़ाने में सहयोग करना होगा।इससे पहले राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थायी समिति की 5 जनवरी 2021 की बैठक में मानव-वन्यजीव संघर्ष पर उपाय योजना के लिएसूचना जारी करने की सिफारिश की गई थी। इसके अलावा केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने भी इसको लेकर 6 फरवरी 2021 को दिशानिर्देश जारी किया है। 
 

Created On :   17 May 2021 3:46 PM GMT

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