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ब्रिटेन में भारतीय मूल के डॉक्टरों ने विदर्भ के लिए बढ़ाया मदद का हाथ, दूसरी लहर में अपनों को खोया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी से सात समंदर पार ब्रिटेन में भारतीय मूल के डॉक्टर रमेश मेहता का दिल अपनी मिट्टी के लिए धड़क रहा है। कोविड की दूसरी लहर को लेकर भारत की जो तस्वीर दुनियाभर के सामने पहुंची, उसने भारतीय मूल के डॉक्टरों को हिला कर रख दिया, क्योंकि भारत में बसे कई अच्छे दोस्तों और रिश्तेदारों को उन्होंने खो दिया है। संक्रमित होने वालों के अलावा तीसरी लहर से खासकर बच्चों को बचाने के लिए मेहता ने अपने अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन की तरफ से चार करोड़ रुपए की मदद विदर्भ के उन इलाकों के लिए भेजी है, जहां मेडिकल की मूलभूत जरूरतों का खासा टोटा है।
वैक्सीनेश को लेकर भारत और ब्रिटेन की स्थिति
वैक्सीनेश को लेकर यूके में भी भारतीय समुदायों और एशियाई मूल के लोगों में भ्रम की स्थिति थी, जिसे लेकर BAPIO ने भारतीय भाषाओं में वैक्सीनेशन के लाभ का प्रचार किया, वहां सरकारी तौर पर भी वैक्सीनेशन पर काफी जोर दिया गया। यही कारण है कि ब्रिटेन में अबतक 70 प्रतिशत लोगों को वैक्शीनेशन का पहला डोज लग चुका है और 40 प्रतिशत आवादी को दूसरा डोज लग गया है, नतीजतन मंगलवार को वहां कोविड से एक भी मौत का मामला सामने नहीं आया। वहीं भारत में 18 प्लस की वैक्सीनेश रोक दी गई। फिल्हाल 45 प्लस का टार्गेट पूरा किया जा रहा है। उन्होंने सलाह दी कि सभी वैक्सीनेशन जरूर लें। जो पूरी तरह सुरक्षित है।
यूके ने इस तरह लड़ी लड़ाई
डॉक्टर रमेश मेहता के मुताबिक यूके में पहली लहर के दौरान सरकार ज्यादा गंभीर नहीं थी, लेकिन उसके गंभीर परिणाम देखते हुए दूसरी लहर की तैयारी पहले ही शुरु कर दी गई, हालांकि वहां अस्तालों में बेड और ऑक्सीजन की समस्या नहीं आई, क्योंकि वहां मेडिकल व्यवस्थाओं पर सरकार का पहले से ही ज्यादा फोकस रहा है, जब्कि भारत में पहली लहर से सीख नहीं ली गई, जिसका नतीजा दूसरी लहर के दौरान भुगतना पड़ा।
आपको बता दें BAPIO UK एक गैर-राजनीतिक, राष्ट्रीय, स्वैच्छिक संगठन है, इसकी स्थापना यूके में 1996 को हुई थी। संगठन अब दुनियाभर के भारतीय डॉक्टरों से जुड़ गया है। जो भारत ही नहीं स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड तक अपनी पहुंच बना चुका है।
अब तक 50 केंद्रों में पहुंचाई गई मदद
130 वेंटिलेटर
300 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
5000 पल्स ऑक्सीमीटर
पीपीई उपकरण
दवाएं
किस तरह काम कर रहा है वर्चुअल हब
महामारी की दूसरी लहर के कारण दबाव झेल रहे डॉक्टरों की मदद के लिए ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के कई डॉक्टर सामने आए। वर्चुअल हब के माध्यम से कोविड को लेकर नवीन जानकारी सांझा की जा रही है, इससे इलाज को लेकर तेजी से निर्णय लेने में मदद मिल रही है। वर्चुअल वार्ड राउंड तैयार किया गया है, जिसे कोविड वार्डों से जोड़ा गया है। मरीजों की सेहत और उसमें सुधार का आंकलन किया जा रहा है। इस सेवा को उन अन्य अस्पतालों से जोड़ा गया, जहां स्टाफ की बेहद कमी है। ब्रिटेन के डॉक्टर सलाह देते हैं। रेडियोलॉजिकल जांच, सीटी स्कैन की रिपोर्ट को जल्द साझा किया जा रहा है, इससे इलाज में तेजी आई है। मेडिकल इक्यूप्मेंट खरीदे गए, जो विदर्भ में सहियोगी डॉक्टरों के माध्यम से ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाए जा रहे हैं, निजी अस्पताल के निदेशक राजू खंडेलवाल, निमिश खंडेलवाल इस परियोजना को अमली जामा पहना रहे हैं।
BAPIO ने विदर्भ में संभावित तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए जमीन तैयार करनी शुरु कर दी। इस काम में उन्हें आईएपी के संरक्षक और कॉमहाड के कार्यकारी निदेशक डॉ उदय बोधनकर का साथ मिला।
डॉ उदय बोधनकर ने भास्करहिन्दी.कॉम को बताया कि BAPIO के बैनर तले ब्रिटेन में चार करोड़ रुपए जुटाए गए, जिसकी मदद से अब विदर्भ के उन ग्रामीण इलाकों तक मेडिकल सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं, जहां अस्पताल तक नहीं हैं, ताकि वक्त रहते कई जानें बचाई जा सके। इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए उपराजधानी को तकनीक के माध्यम से सीधे ब्रिटेन से जोड़ा गया, इसके लिए वर्चुअल हब तैयार किया गया है, इस हब के जरिए विदर्भ के डॉक्टरों से विदेशी डॉक्टर अपना अनुभव सांझा कर रहे हैं।
पांढुर्ना में पले बढ़े डॉक्टर रमेश मेहता ने साल 1971 में नागपुर मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री हासिल कर ली, इसके बाद वे ब्रिटेन जा बसे, वहां नामी अस्पताल में सीनियर पोजिशन काम किया, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बतौर ट्यूटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें ब्रिटेन के सर्वोच्च पुरस्कारों में एक ओबीई के खिलाब से भी नवाजा जा चुका है, बाल रोल विषेशज्ञ मेहता ने ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 65 हजार डॉक्टरों को ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरीजन (BAPIO) के माध्यम से एक सूत्र में पिरोया और वहां का सबसे बड़ा संगठन खड़ा कर दिया। लेकिन विदर्भ के ताजा हालात ने पशोपेश में डाल दिया, कि कैसे वहां अपनों की जान बचाई जा सके।
Created On :   2 Jun 2021 7:39 PM IST