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भारत के पहले डॉक्टर जिन्हें ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II के हाथों मिला था बड़ा सम्मान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II अब इस दुनिया में नहीं, लेकिन जिन्होंने महारानी को बेहद करीब से देखा-जाना और महारानी के हाथों सम्मानित हुए, भारत के एसे पहले जाने माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उदय बोधनकर ने दिलचस्प यादें दैनिक भास्कर के डिजिटल प्लेटफार्म bhaskarhindi.com से साझा की। दरअसल बात उन दिनों की है, जब चेहरे पर चमक लिए संतरा नगरी के डॉक्टर बोधनकर चिकित्सा क्षेत्र में कुछ अलग करने की ललक लिए ब्रिटेन में पढ़ाई मुकम्मल करते हैं, चिकित्सा जगत की बारीकियां समझने के साथ ही उसपर संजीदगी से काम किया, जिससे खुश होकर सीनियर्स ने बोधनकर का नाम बकिंघम पैलेस के प्रशासन को भेज दिया।
डॉक्टर उदय बोधनकर ने बताया कि कुछ ही दिनों में उन्हें मेल आया था कि बकिंघम पैलेस में उन्हें सम्मानित किया जाना है, पहले तो बोधनकर को विश्वास नहीं हुआ, इसके बाद दोबारा मेल आने पर उन्होंने जब अपने सीनियर्स के संपर्क किया, तो बताया गया कि मेल आधीकारिक है, उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला है, शाही कार्यक्रम में शामिल होना बोधनकर के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। वे दुनिया भर की उन चुनिंदा शख्सियतों में शुमार थे, जिन्हें मानो वर्तमान में इतिहास से रूबरू होने का मौका मिला था।बोधनकर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
वे 26 अप्रैल 2009 में COMHAD यूके के महासचिव के रूप में बकिंघम पैलेस में महामहिम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ राष्ट्रमंडल फाउंडेशन की बैठक में शामिल हुए। महारानी ने उन्हें अच्छा काम करने के लिए शुभकामनाएं दी। उन्हें बतौर बाल रोग विशेषज्ञ और COMHAD के महासचिव के रूप में अहम भूमिका को लेकर सम्मानित किया गया था।
उस कार्यक्रम में राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के हाई प्रोफाइल अधिकारी शामिल हुए थे। यूनिसेफ और अन्य सीडब्ल्यू चिकित्सा पेशेवर एनजीओ सहित केवल 40 सदस्य आमंत्रित थे।
डॉक्टर उदय बोधनकर ने बताया कि (COMHAD) संगठन दुनिया भर के 53 राष्ट्रमंडल देशों में स्वास्थ्य विकास, तकनीकी विशेषज्ञता के आदान-प्रदान और स्वास्थ्य में अंतर-देशीय प्रशिक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने में सक्रिय योगदान दे रहा है। जिसमें भारतीय मूल के कई डॉक्टर काम कर रहे हैं।
बोधनकर ने बताया कि प्रोटोकॉल के तहत महारानी को गिफ्ट नहीं दे सकते थे, लेकिन वे अपने साथ धार्मिक पुस्तक भगवत गीता लेकर गए थे। सम्मान के दौरान उन्होंने महारानी से अपील की और महारानी ने उनकी अपील स्वीकार करते हुए, भगवत गीता अपने पास रख ली, बोधनकर ने बताया कि उपहार में दी गई गीता उन्होंने 99 रूपए में खरीदी थी, लेकिन उसका मायना बड़ा था।
आपको बता दें, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II ने 6 फरवरी 1952 को पिता किंग जॉर्ज की मौत के बाद ब्रिटेन का शासन संभाला था। तब उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी, उन्होंने 70 साल तक शासन किया। दो दिन पहले ब्रिटेन की 15वीं PM लिज ट्रस को शपथ दिलाई थी।
शाही महलों - घरों पर यूनियन जैक आधा झुकाया गया है। ब्रिटेन की सभी बाहरी पोस्टों और सैन्य ठिकानों पर भी झंडा झुका रहेगा।
भारत समेत कई देशों में बने ब्रिटिश हाई कमीशन के दफ्तरों में भी साइमन जैक आधा झुकाया गया है। खास बात है कि क्वीन एलिजाबेथ ने अपने 21वें जन्मदिन पर प्रतिज्ञा की थी कि वह अपना पूरा जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित कर देंगी, ब्रिटेन के अलावा उनका प्रभाव 14 अलग-अलग देशों तक रहा। जिसमें न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जमैका, बहामास, ग्रेनेडा, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन आइलैंड्स, तुवालू, सैंट लूसिया, सेंट विंसेट एंड ग्रेनेजियन्स, एंटीगुआ और बारबुडा, बेलिज, सेंट किट्स एंड नेविस शामिल है, हालांकि इन देशों के राजा के रूप में महारानी की भूमिका प्रतीकात्मक थी. सीधे शासन में शामिल नहीं रहीं, लेकन राज्य की मुखिया मानी जाती थीं। उनका जाना खासकर ब्रिटेन के लिए बेहद दुखद है।
Created On :   9 Sept 2022 8:19 PM IST