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उद्योग जगत की मांग - लिक्विडीटी बढ़ाने उद्योगों को छूट दे बैंक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था का चक्का जाम हो गया है। उद्योग-धंधे पूरी तरह से बंद पड़े हैं। इस बीच उद्योजकों को तीहरी मार झेलनी पड़ रही है। ऐसे में लॉकडाउन खत्म होने के बाद इंडस्ट्री को वापस पटरी पर लाने की सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। इस चुनौती से निपटने और उद्योग जगत को पटरी पर लाने के लिए बहुत सी रियायतें देने की आवश्यकता है। व्यापार और उद्योग जगत सरकार से विशेष आर्थिक पैकेज की मांग कर रहा है। बैंकों की ओर से लिक्विडीटी बढ़ाने जैसे मुद्दों का समावेश है। शहर के उद्योजकों ने इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए उद्योगों और व्यापार जगत को कुछ छूट देने की मांग की है। ‘दैनिक भास्कर’ से चर्चा करते हुए उद्योग संगठनों से जुड़े लोगों ने अपनी राय रखी।
सैनिटाइजेशन के लिए गाइडलाइन जारी हो
चेंबर ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड अध्यक्ष दीपेन अग्रवाल ने मुताबिक लॉकडाउन के बाद उद्योगों को शुरू करने के लिए सरकार को काफी एहतियात बरतने की आवश्यकता है। सरकार को सभी उद्योगों के लिए सैनिटाइजेशन को लेकर गाइडलाइन जारी करनी चाहिए। उद्योजकों के लिए बैंक इंट्रेस्ट, रिकवरी, स्टॉक क्लीयरेंस आदि के लिए सहयोग करना होगा। ब्याज में तीन माह तक छूट दी जानी चाहिए। सरकार ने आरबीआई के पास जमा रिजर्व फंड ले लिया था, उसे उद्योगों के लिए उपयोग में लाना चाहिए। उद्योगों को बिजली के बिल में भी रियायत मिलनी चाहिए। क्रूड के दाम कम होने से हुए लाभ को भी उद्योगाें को उबारने में लगाना चाहिए।
धीरे-धीरे इंडस्ट्री को दें परमिशन
विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन अध्यक्ष सुरेश राठी के मुताबिक लॉकडाउन खुलने के बाद सबसे बड़ी समस्या उद्योगों को फिर से खड़ा करने की आएगी। सरकार को धीरे-धीरे कुछ शर्ताें के साथ परमिशन देनी चाहिए। उद्योगों के सामने सबसे बड़ी समस्या लिक्विडिटी की आएगी। इसलिए बैंकों को भी विशेष निर्देश दिए जाएं। उद्योगों में कम स्टाफ को परमिशन दें, सैनिटाइजर, मास्क आदि कंडिशन लगाएं। विदर्भ या अन्य क्षेत्रों में जहां इस वायरस का प्रकोप कम है, वहां पर इंडस्ट्री को शुरू करने के लिए परमिशन दी जाए। लेबर अपने गांव लौट गए हैं, उन्हें वापस लाने की परमिशन दी जानी चाहिए। अच्छे रिकॉर्ड वाले उद्योजकों को बैंक द्वारा 20 प्रतिशत अतिरिक्त लिमिट देनी चाहिए।
आयात-निर्यात के लिए ठोस नीति बनें
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया का कहना है कि चायना का मार्केट शुरू हो चुका है, ऐसे में बहुराष्ट्रीय कंपनियां बाजार पर कब्जा करना चाहेंगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। ऐसे में सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है। सरकार ने लगभग 600 आइटम्स को लद्यु उद्योग की श्रेणी से निकाल दिया था, उन आइटम्स को फिर से लद्यु उद्योगों के लिए आरक्षित कर इनके निर्यात पर पूरी तरह से पाबंदी लगानी चाहिए। इससे घरेलु उद्योग को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। चायना से आने वाले हर माल की तकनीकी जांच होनी चाहिए। उद्योगों के लिए ठोस नीति बने। उद्योगों को 2020-21 के जीएसटी कलेक्शन की 20 प्रतिशत रकम अपने पास रखने की इजाजत दे, ताकि नुकसान की भरपाई हो सके। 2019-2020 के जीएसटी का नियोजन कर 25 प्रतिशत रकम बगैर ब्याज के कर्ज के रूप में उपलब्ध करानी चाहिए। मुद्रा योजना की मियाद 10 से बढ़ाकर 25 लाख रुपए तक करे।
Created On :   10 April 2020 4:24 PM IST