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उद्योग बंद, मगर वेतन, बिजली बिल, बैंक ब्याज और किराया चालू
उद्योगपतियों में पनप रहा आक्रोश, जमा पूँजी से चला रहे काम, राहत पर कोई सुनवाई नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना वायरस के चलते प्रभावी लॉकडाउन के कारण पिछले 23 दिनों से सभी उद्योग-धंधे बंद पड़े हैं। इंडस्ट्री में ताला लटका हुआ है। व्यापारियों को कहीं से कोई आय नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में उद्योगपतियों को बिजली बिलों के भुगतान के साथ ही श्रमिकों को वेतन और बैंक का ब्याज भी देना पड़ रहा है। व्यापारियों में इस बात को लेकर आक्रोश पनप रहा है कि सरकार से लगातार राहत की माँग किए जाने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलने से अब दिनों-दिन हालात बिगडऩे लगे हैं।
पहले 21 दिन, अब 19 दिन पड़ रहे भारी
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि पहले 21 दिन का लॉकडाउन जारी हुआ। इस दौरान एक-एक दिन गिनते-गिनते यह सोचकर समय काट लिया कि शायद आगे राहत मिलेगी। मगर अब 19 दिन का लॉकडाउन और बढऩे से उद्योगपतियों की कमर टूट जाएगी। कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है। इस दौरान श्रमिकों को वेतन तो देना पड़ रहा है। बिजली बिल के फिक्स चार्ज छूट की माँग की गई थी, मगर बिजली कंपनियों ने छूट देने की बजाय अप्रैल माह का चार्ज मई माह में वसूलने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय से व्यापारियों को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिल रही है, बल्कि दो माह इंडस्ट्री में ताला लगा रहने के बाद अगर मई माह में थोड़ी राहत मिली, तो व्यापार पटरी पर आ नहीं पाएगा और बिल के साथ किराया, ब्याज व अनेक प्रकार के टैक्स देने की नौबत आ जाएगी।
इनका कहना है
लॉकडाउन में व्यापार पूरी तरह से बंद है। ऐसे में व्यापारी कैसे जिंदा रहेगा। उद्योग बंद हैं, मगर श्रमिकों को पगार, बिजली बिल, बैंक ब्याज, किराया, प्रॉपर्टी टैक्स, जल कर व अन्य सभी कर चालू हैं। आखिर व्यापारी कहाँ से देगा।
प्रेम दुबे, अध्यक्ष,
जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स
21 दिन तो किसी तरह से व्यापारियों ने निकाल दिए, इन 19 दिनों के लॉकडाउन में अगर थोड़ी-बहुत राहत नहीं मिली, तो उद्योग-व्यापार की हालत बिगड़ जाएगी और श्रमिकों को वेतन देने से लेकर अन्य प्रकार के देय का भुगतान करना संभव नहीं होगा।
शंकर नाग्देव, मानसेवी मंत्री, महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स
Created On :   17 April 2020 3:23 PM IST