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लापरवाही बढ़ गई - शववाहिका के हैं बुरे हाल खुले में पीपीई किट के ढेर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते खासी परेशानी हो रही है। कोरोना से होने वाली मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था मनपा संभाल रही है। शवों को दहनघाट तक पहुंचाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई है। संक्रमण से सुरक्षा के लिए करीब 1500 रुपए प्रति नग की दर पर पीपीई किट भी मुहैया कराई जा रही है, लेकिन पिछले कुछ दिन से मनपा मुख्यालय में शववाहिका क्रमांक एमएच 31 एफसी 4442 बुरी हालत में पड़ी हुई है। इस वाहन के भीतर करीब 200 पीपीई किट का ढेर लगा हुआ है। पर्याप्त निगरानी के अभाव में पीपीई किट वाहन के बाहर तक आकर गिरी हुई है। वाहनों के पार्किंग क्षेत्र में बेहद बुरे हाल में पीपीई किट पड़ी है। आने-जाने वाले नागरिक वाहन के पास पहुंच कर मनपा की लापरवाही को देखकर हैरान हो रहे हैं, लेकिन आला अधिकारियों को इस बारे में खबर तक नहीं है। हैरानी यह है कि पीपीई किट वाले इस वाहन को आपात स्थिति के नाम पर रखा गया है, लेकिन वाहन और पीपीई किट की सुरक्षा के लिए कोई भी नजर नहीं आ रहा है।
पिछले दो साल में कोरोना संक्रमण की आड़ में मनमाने दामों पर मनपा प्रशासन ने सामग्री की खरीदी की है। आपदा व्यवस्थापन नियमावली लागू होने के चलते स्टोर के फार्मासिस्ट प्रशांत भातकुलकर समेत कई आला अधिकारी महंगे दामों में खरीदारी को लेकर रडार पर रहे हैं। इतना ही नहीं, एन-95 मास्क, हैंड ग्लोब्ज और पीपीई किट खरीदी में नियमों को ताक पर रखकर जनता के पैसों की लूट की गई है। स्टेशनरी घोटाले में फार्मासिस्ट प्रशांत भातकुलकर के साथ ही एक आला अधिकारी अब भी जंाच के घेरे में है। महंगे दामों पर खरीदी कर सामग्री को कचरे में डालने को लेकर अब प्रशासक आयुक्त राधाकृष्णन बी. की कार्रवाई पर सभी की नजर टिक गई है।
1500 रुपए की किट : मनपा मुख्यालय से आवंटित पीपीई किट के दाम को देखकर हैरानी होने लगती है। 1499 रुपए प्रति नग की दर से खरीदी की गई है। इस किट के साथ डिस्पोजेबल शू कवर, मास्क, हूड, सर्जिकल हैंड ग्लोब्ज और वेस्ट कलेक्शन बैग भी मिलता है। शवों को घरों और अस्पतालों से वाहन में दहनघाट तक पहुंचाने के दौरान सहायकों और ड्राइवर को पीपीई किट पहननी होती है। 13 अप्रैल को आखिरी मर्तबा शव को पहुंचाने के बाद से वाहन और सामग्री का इस्तेमाल नहीं हुआ है। ऐसे में वाहन के साथ ही 200 पीपीई किट के बुरे हाल हो रहे हैं। पीपीई किट से लदा वाहन नई मुख्य प्रशासकीय इमारत से केवल 50 कदम दूरी पर है। रोजाना अपने वाहनों से उतरकर कार्यालय तक पहुंचने वाले आयुक्त समेत सभी आला अधिकारी देखते हैं, लेकिन सुरक्षा को लेकर कोई भी ताकीद नहीं दी गई है।
पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण से होने वाली मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी मनपा प्रशासन संभाल रही है। दूसरी लहर के दौरान शववाहिका की समस्या खड़ी हो गई थी, ऐसे में मनपा मुख्यालय में धरमपेठ जोन कार्यालय की एक शववाहिका क्रमांक एम एच 31 एफसी 4442 को आरक्षित रखा गया है। इस वाहन के साथ कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए 200 पीपीई किट रखी गई है, लेकिन पिछले कई दिनों से इस्तेमाल नहीं होने से लाखों की पीपीई किट के साथ ही वाहन के भी बुरे हाल हो रहे हैं। पीपीई किट अब बोरे से निकलकर रास्ते तक आ रही है। वाहनों के बीच महंगे दामों की पीपीई किट पूरी तरह से खराब हो रही है। आला अधिकारियों का दावा है कि वाहन के चालक और 4 सहायक पूरी निगरानी रख रहे हैं। इतना ही नहीं, समय-समय पर आला अधिकारी भी जायजा ले रहे हैं, लेकिन इन दावों की कलई वाहन की स्थिति को देखकर पता चल ही जाती है।
13 अप्रैल को आखिरी मर्तबा इस्तेमाल : मनपा मुख्यालय की शववाहिका का 13 अप्रैल को आखिरी मर्तबा इस्तेमाल हुआ था। इसके बाद से ही वाहन का प्रयोग नहीं हुआ है। ठेका पद्धति पर नियुक्त ड्राइवर और सहायक के रूप में नियुक्त 4 सफाई कामगार कभी भी वाहन के पास नजर नहीं आए हैं। ऐसे में लावारिस स्थिति में महंगे दामों की पीपीई किट खुले बोरे में पड़ी है।
Created On :   22 May 2022 2:48 PM IST