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- Inflation hit: when the gas is filled, boil the water and drink it, the bright plan has failed…!
दैनिक भास्कर हिंदी: महंगाई की मार: गैस भराहे तो पानी उबाल खें पियाने परहे, फेल हो गई उज्जवल योजना...!

डिजिटल डेस्क कटनी। भैया, महीना भर की आधी कमाई जब गैस भराबे में ही चली जेहै तो बच्चों खों खिलाहें का, गैस में पकाबे खों जब कछू ने बचहे तो घर के लोगन खों पानी उबाल के पियाने परहे। यह हालात किसी एक के नहीं वरन उज्जवला योजना के 90 फीसदी हितग्राहियों के है। सरकार ने महिलाओं को चूल्हा के धुआं से मुक्ति दिलाने उज्जवला योजना के तहत जिले में रसोई गैस के लगभग दो लाख कनेक्शन दिए हैं। इनमें से 20 प्रतिशत की ही रिफिलिंग हो रही थी। जबसे रसोई गैस के दाम बढ़े हैं तो रिफिलिंग का परसेंटेज दस फीसदी रह गया है। उज्जवला योजना के ज्यादातर हितग्राहियों की स्थिति यह है कि महीने भर में दो हजार की आमदनी भी नहीं होती और अब सिलेंडर 850 रुपये का हो गया। यदि गैस का उपयोग करते हैं तो परिवार के लोग भूखे रह जाएंगे। 80 प्रतिशत हितग्राही तो पहले ही गैस नहीं भरा रहे थे, शेष 20 प्रतिशत में से दस फीसदी ने सिलेंडर महंगा होने से गैस भराना बंद कर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में उज्जवला योजना के सिलेंडर एक कोने में रखे धूल खा रहे हैं और पहले की तरह लकड़ी के चूल्हा में ही खाना बन रहा है।
आंकड़ों पर डाला पर्दा-
शासन एवं गैस कंपनियों ने उज्जवला योजना के आंकड़ों पर पर्दा डाल दिया है। एक समय तामझाम के साथ उज्जवला के कनेक्शन वितरित करने वाले अधिकारियों ने रिफिलिंग पर चुप्पी ही नहीं साधी वरन रिपोर्ट पर भी ताला डाल दिया है। उज्जवला योजना की नोडल अधिकारी स्वाती अग्रहरी से इस योजना
परफार्मेंस की जानकारी चाही गई तो उनका जवाब था कि हमारी कंपनी को लिखित में आवेदन दें, जिसमें यह भी उल्लेख करें कि इन आंकड़ों का क्या उपयोग करेंगे। कंपनियों के दबाव के चलते एजेंसी संचालक भी मुंह खोलने तैयार नहीं है। कुछ एजेंसी संचालकों ने यह तो स्वीकार किया कि उज्जला योजना तहत वितरित 20 प्रतिशत सिलेंडर की रिफिलिंग हो रही थी। गैस के दाम बढऩे से यह संख्या और कम हो गई है।
कहां से लाएं इत्तो पैसा-
घर में आखे एक सिलेंडर नौ सौ रुपैया को पडऩ लगो, जब तक सस्तो रहो तो भरा लेत ते, अब इत्तो पैसा कहां से लाएं। इतनी कमाई भी नैंया। घर के लोगन खें जित्ती मजदूरी मिलत है आधी तो सिलेंडर में खर्च हो जैहे। महंगाई भी तो
इतनी बढ़ गई कि जो कमात है उतनई नई पूज रहो। जब आधी कमाई सिलेंडर भराबे में दे देहें तो खाहें का। भैया कोई सुनबे बारो नईंया सब कछू तो महंगो हो
गयो।
-मुन्नीबाई, पिपरिया
पेट भरबे की मुश्किल पड़ी है-
इते पेट भरबे की मुश्किल पड़ी है, गैस कहां से भरा हें, गैस इतनी महंगी कर दई, कि महीना भर की आधी कमाई ओई में चली जैहे तो बाल-बच्चों खों खबाहें का? हमओ तो चूल्हई भलो है। सबेरे-शाम जब टाइम मिलत है, घर को कोउ न कोउ खेत से लकड़ी ले आत हैं। खेत में छिवला के पेड़ लगे हैं हमाए लाने को बेई भले। गैस के चक्कर में तो गरीब भूखे मर जैहें।
-ममता लोधी, पटना
गरीबन की तो सोचे सरकार-
गैस मिली तो बड़ी खुशी भई ती, लगत है फ्री में गैस दई तो अब ओकी पूरी कीमत वसूल रही सरकार। गरीबन की तो सोचे सरकार। एक सिलेंडर के पूरे हजार रुपैया लगन लगे, सिलेंडर महंगो करबे के पहले सरकार खें तो सोचने ती कि इत्तो पैसा गरीबन के पास कहां से आहे। इतनी महंगाई में दो जून की रोटी की तो मुश्किल हो रई, और जा गैस भी महंगी कर दई। हमओ तो चूल्हई भलो।
-छोटी बाई, ग्राम नगमा
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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