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आरटीआई कार्यकर्ता की जानकारी सार्वजनिक करने के मामले में सूचना प्रसारण मंत्रालय को फटकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरटीआई कार्यकर्ता की (सूचना का अधिकार कानून) की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के मामले में केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि साल 2016 में सरकारी कार्यालयों के आरटीआई कार्यकर्ताओं की निजी जानकारी सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई थी। इसके बावजूद 4474 आरटीआई आवेदनो की जानकारी वेबसाइट में डालकर सार्वजनिक की गई है।न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने कहा कि क्या कोई इस मामले को देख रहा है। क्या इस गलती व अज्ञानता के लिए कोई कार्रवाई की गई है? हम सिर्फ याचिकाकर्ता की बात नहीं कर रहे अन्य चार हजार आवेदनों की बात कर रहे है। क्योंकि इस बारे में साल 2014 में कोलकाता हाई कोर्ट ने भी आदेश जारी किया है। खंडपीठ ने कहा कि हम अगले सप्ताह इस मामले में आदेश जारी करेंगे।
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इस विषय पर दायर याचिका दायर की है। याचिका में गोखले ने मांग की है कि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय को वेबसाइट से उसकी निजी जानकारी हटाने का निर्देश दिया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि वेबसाइट में उनकी निजी जानकारी उपलब्ध होने के कारण उन्हें धमकी व वैमनस्य भरे फोन कॉल का सामना करना पड़ा। गोखले ने कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी। जिसे बाद में खारिज कर दिया गया था।
गोखले ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि उसने केंद्र सरकार के एक अभियान को लेकर सूचना के अधिकार के तहत 27 अक्टूबर 2019 जानकारी मांगी थी। लेकिन इस आवेदन को पहले सूचना प्रसारण के पास भेजा गया फिर वेबसाइट में अपलोड कर सार्वजनिक कर दिया गया।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रुई रॉड्रिक्स ने कहा कि अक्टूबर 2014 में जारी निर्देशों के तहत याचिका कर्ता की जानकारी वेबसाइट में डाली गई थी। उन्होंने स्प्ष्ट किया कि मार्च व अक्टूबर 2016 में आरटीआई कार्यकर्ताओ की निजी जानकारी सार्वजनिक करने पर लगाई गई रोक के बारे में जारी ऑफिस मेमोरेंडम की सूचना प्रसारण मंत्रालय को जानकारी नहीं थी। जब तक यह जानकारी मंत्रालय तक पहुची तब तक 4474 आरटीआई आवेदन वेबसाइट पर डाले जा चुके है। इस पर खंडपीठ ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को फटकार लगाई।
Created On :   29 Oct 2020 9:14 PM IST