बेचने वाले की चूक का खामियाजा खरीदार को भुगतना होगा

Input tax credit : buyer will have to bear the brunt of the sellers default
बेचने वाले की चूक का खामियाजा खरीदार को भुगतना होगा
इनपुट टैक्स क्रेडिट बेचने वाले की चूक का खामियाजा खरीदार को भुगतना होगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जीएसटी में 1 जनवरी से हुए बदलाव से व्यापारियों की परेशानियां और बढ़ गई हैं। अब बेचने वाले व्यक्ति की चूक का खामियाजा खरीदार को भुगतना पड़ेगा। इसी के साथ जहां कई अन्य रियायतें कम हो जाएंगी, वहीं थोड़ी सी तकनीकी या मानवीय त्रुटि व्यापारियों को बहुत भारी पड़ेगी। केंद्र ने नए साल की शुरुआत में ही व्यापारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। संशोधित नियमों के तहत अब पंजीकृत व्यापारी उतने ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले सकेंगे, जो जीएसटी पोर्टल पर उनके फॉर्म जीएसटीआर-2बी में दर्शाई जा रही है। यानी कि व्यापारी ने जिस कंपनी या अन्य से माल खरीदा है और यदि उसने (विक्रेता ने) जीएसटी नहीं चुकाया या रिटर्न फाइल नहीं किया, तो खरीदार (क्रेता) व्यापारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट में छूट नहीं मिलेगी। भले ही खरीदार ने बेचने वाले को पूरा भुगतान कर दिया हो। हालांकि जीएसटी के मूल कानून अनुसार क्रेता व्यापारी को खरीदी बिल के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलना चाहिए।

भारी पड़ेगी त्रुटि : संशोधित नियमों के तहत व्यापारिक माह में हुई बिक्री की जानकारी फॉर्म जीएसटीआर-1 में देता है। यह फॉर्म अगले माह के 10 तारीख तक भरा जाएगा। वहीं इनपुट टैक्स क्रेडिट और कर के दायित्व की जानकारी फॉर्म जीएसटीआर 3बी में दी जानी है, जो 20 तारीख तक भरा जा सकता है। अब इन दोनों फॉर्म में कर राशि में अंतर आया, तो व्यापारी को उसका भुगतान करना पड़ेगा। यानी तकनीकी या मानवीय त्रुटि से जीएसटीआर-1 और 3 बी में अंतर आया, तो यह त्रुटि व्यापारी पर भारी पड़ेगी।

जनवरी से पहले जो रेस्त्रां फूड डिलीवरी एग्रीगेटर को माल बेचते थे, उन्हें 5% दर से टैक्स चुकाना होता था, लेकिन ऐसे कई रेस्त्रां हैं, जो जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में न वो जीएसटी चुकाते थे और न फूड डिलीवरी एग्रीगेटर। ऐसे मामलों में जीएसटी चुकाने का दायित्व फूड डिलीवरी एग्रीगेटर पर डाल दिया है। ऐसे विक्रय पर रेस्त्रां को कोई कर नहीं चुकाना होगा, लेकिन एग्रीगेटर पर बोझ जरूर आएगा। हालांकि यह अच्छा कदम कहा जा सकता क्योंकि इससे राजस्व बढ़ेगा। रिफंड के लिए भी आधार अनिवार्य किया है, जो कि अच्छा निर्णय है।

क्रेडिट लेने वालों पर शिकंजा
आईसीएआई की स्थानीय शाखा के अध्यक्ष सीए साकेत बगडिया ने बताया यदि विक्रेता कर नहीं चुकाता है, तो उसका दंड क्रेता व्यापारिक को देना न्याय संगत नहीं है। साथ ही जीएसटी आर 2ए/2बी में दर्शाए जा रहे इनपुट टैक्स क्रेडिट का 105% तक की छूट का लाभ व्यापारी ले सकते थे, जो अब केवल 2ए/2बी में दर्शाई जा रही राशि के बराबर है। फेक बिल और गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने वालों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार को यह कठोर निर्णय लेना पड़ा। 

गलती सुधारने के लिए मौका नहीं मिलेगा : कॉन्ट्रैक्ट : 6% बढ़ाया जीएसटी 1 जनवरी से पहले गवर्नमेंट अथॉरिटी या गवर्नमेंट एंटीटी को किसी निर्माण के कॉन्ट्रैक्ट पर 12%  दर से जीएसटी देना होता था, अब यह दर बढ़ाकर 18% कर दी है। यानी गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्टर्स को अब 6% अधिक कर चुकाना होगा। इससे उन्हें बड़ी मात्रा में करंट कैपिटल की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि सरकारी विभागों से भुगतान बहुत देरी से होता।

Created On :   17 Jan 2022 4:39 PM IST

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