- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- मुंबई से गुजरात पहुंचा INS Viraat...
मुंबई से गुजरात पहुंचा INS Viraat बन रहा इतिहास का हिस्सा, एशिया के सबसे बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड अलंग को मिला गौरवशाली अवसर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । भारतीय नौसेना में करीब 30 साल तक सेवा देने के बाद युद्धपोत आईएनएस विराट अब इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है। अलंग को आईएनएस विराट नेवी के विशाल युद्धपोत को अपनी गोद में समावेश करने का बहुत ही गौरवशाली अवसर मिलने जा रहा है। आईएनएस विराट ने अपनी अदभुत क्षमताओं से देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए लगभग 30 वर्ष तक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जो अपनी अंतिम यात्रा के लिए यहां पहुंचा। अलंग के गौरवशाली समुद्री इतिहास में यह स्वर्णिम पल विराट एवं सदा अविस्मरणीय रहेंगे।
इस व्यवसाय में अनेक प्रान्तों के लोगों के साथ साथ दुनिया के कई अन्य देशों के लोगों का सीधा जुड़ाव है। ये व्यवसाय, भारत की अनेकता में एकता को समेटे हुए, निरंतर प्रगति कर रहा है। यहाँ सभी धर्म पंथ जाति और राज्य से जुड़े लोगों की सामूहिक सहभागिता देखने को मिलती है। ऐसे में सरकार इस क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन करना अपना दायित्व समझती है। ताकि देश के किसी भी हिस्से से आकर इस व्यवसाय में काम कर रहे लोगो को कोई भी असुविधा न हो। सब सकुशल आगे बढ़ता रहे, यही सरकार का हर सम्भव प्रयास है।
अब ऐसी चीज़ें जो शिप को तोड़ने के दौरान निकलती है और पर्यावरण के अनुकूल नही हैं उन्हें आसानी से रिसाइकिल किये जाने की योजना पर काम होगा। इसी कड़ी को पूरा करते हुए व आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने Ship Recycling Bill-2019 पारित किया। शिप रीसाइक्लिंग बिल 2019 ग्लोबल शिप्स के लिए भारतीय शिपयार्ड में रिसाइक्लिंग के लिए प्रवेश करने का मार्ग प्रशस्त करने वाला है। नॉर्वे और जापान जैसे देश और कई अन्य यूरोपीय संघ के देश अपने जहाजों को भारत भेजने के लिए उत्सुकता से देख रहे हैं। चूंकि बिल शिप के ग्रीन रिसाइक्लिंग के साथ-साथ यार्ड श्रमिकों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला है; इसलिए यह अलंग में व्यवसाय के अवसरों के साथ-साथ बाजार मूल्य में वृद्धि करने जा रहा है। श्रमिकों की सुरक्षा चिंताओं के साथ-साथ इस प्रक्रिया में शामिल खतरनाक सामग्रियों को हटाने के जोखिम को इस बिल के माध्यम से पूरी तरह से संबोधित किया गया है। इस प्रकार इस विधेयक के कार्यान्वयन से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और साथ ही व्यापार में वृद्धि में योगदान होगा। यह देश की जीडीपी सहायक सिद्ध होगा ।
भारत हांगकांग कन्वेंशन का अनुपालन करने वाला 14वाँ देश है। इंटरनेशनल मैरिटाइम ऑर्गनाइजेशन (IMO) ने हांगकांग इंटरनेशनल कनवेंशन फॉर सेफ एंड एनवायरमेंटली साउंड रिसाइकलिंग ऑफ शिप्स को 2009 में अपनाया था। इस कनवेंशन का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जिस शिप की उम्र पूरी हो गई है उसे तोड़ने के काम में लगे लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण को कोई खतरा नहीं होगा। IMO के मुताबिक हांगकांग कनवेंशन का मकसद शिप रिसाइकलिंग से जुड़े मुद्दों का निपटारा करना है। इसमें तोड़ने के लिए बेचे जाने वाले जहाजों में पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित वाली चीजें होने जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसमें दुनिया भर के देशों में जहाज तोड़ने के काम में लगे लोगों के कामकाज के माहौल और पर्यावरण की स्थिति को लेकर उठाई चिंताओं पर गौर किया गया है।
मौजूदा नेविगेशन टेक्नोलॉजी भी सी रूट से संबंधित है, ये संस्कृत शब्द नवगति से लिया गया है। हमारे प्राचीन समुद्री टेक्नोलॉजी का प्रसार पहले अरब देशों फिर पश्चिमी देशों में हुआ। हमारी समृद्ध सामुद्रिक यात्रा हजारों सालों से जारी है। हमारा देश मेरीटाइम सेक्टर में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2018 में लगभग 50 लाख ग्रॉस टनेज (MnGT) की हैंडलिंग हुई थी, जो दुनियाभर की शिपब्रेकिंग इंडस्ट्री का लगभग 25% था। सरकार ने इसे 2024 तक दोगुना करके लगभग 90 लाख ग्रॉस टनेज तक ले जाने की योजना बनाई है। शिपिंग मिनिस्ट्री के पांच साल के विजन के मुताबिक भारत के शिप ब्रेकिंग यार्ड में रिसाइकिलिंग के लिए विकसित देशों से जहाज मंगाए जाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
वैसे हमारा समुद्री प्राचीन इतिहास काफी समृद्ध रहा है। दुनिया का सबसे प्राचीन और आधुनिकतम शिपयार्ड 5 हजार साल पुराने सिंधु घाटी सभ्यता के समय का माना जाता है, जिसके अवशेष आज भी गुजरात के लोथल में देखे जा सकते हैं। हमारी पृथ्वी का 70% जल है। कोई भी समृद्धि हासिल कर पाना लगभग असंभव था। हमारे हजारों साल पुराने वेद, पुराणों, और तमाम संस्कृत और पाली भाषा के ग्रंथों में भी समुद्री जहाज और समुद्री व्यापार का वर्णन मिलता है।
जहाज में घरेलु चीज़ों जैसे दरवाजे, अलमारी, पंखा, फ्रिज, वाशिंग मशीन से लेकर प्लाईवुड, सरिया, और घर निर्माण की लगभग हर सामग्री मिल जाती है। जैसे जैसे जहाज टूटता है, उसके सामान निकलते हैं वैसे वैसे सबकी नीलामी होती है, लोगों का रोजगार बढ़ता चला जाता है। मांग और आपूर्ति के हिसाब से ये बाजार हमेशा गुलजार रहता है। यहाँ कभी मंदी नही आती है। अलंग एशिया का सबसे बड़ा शिप ब्रेकिंग यार्ड है, यहां हर साल लगभग 4 लाख मैट्रिक टन फर्नीचर, स्टील और लोहा निकलता है, यहां विश्व भर के लगभग 30% जहाज अपने आखिरी सफर पर कटने के लिए आते है।
इस पृथ्वी पर हर एक चीज़ की एक निश्चित आयु है एक वक्त के बाद हर चीज़ को खत्म होना होता है। ऐसी ही एक टूटकर संवरने की जगह है गुजरात का अलंग, जहां महासागर की प्रबल तेज लहरों पर डटकर तैरने वाले बड़े बड़े जहाज टूटते हैं। लेकिन इसे अलंग के लोगों की सकारात्मकता कहें या गुजरात का कारोबारी दिमाग, जहां जहाजों की समाप्ति पर भी लाखों लोगों के रोजगार का सृजन हो जाता है। अलंग के पोर्ट पर जहाजों के टूटने से 3 से 4 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इस पोर्ट पर 1983 में पहला जहाज कटने के लिए आया था। तब से ये सिलसिला लगातार चलता हुआ इस मुकाम पर आ पंहुचा है, जहां साल के 250 से 280 विशालकाय जहाज कटे जाते हैं। देखते ही देखते। जहाज अपने आप मे एक बड़ा बाजार है, जो जब तक सागर की लहरों पर चलता है, तब तक पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देता है, और जब अपने आखिरी पलों में टूटता है, तो एक नए बाजार को जन्म देता है।
अपने आखिरी सफर निकले आईएनएस विराट को साल 2017 में युद्धपोत से डिकमिशंड (सेवानिवृत्त) कर दिया गया था। बीते शनिवार को मुंबई से गुजरात के अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड के लिए रवाना हो गया था।
जहाज में बसा था एक शहर
लंबाई की बात करें तो आईएनएस विराट 226 मीटर लंबा और 49 मीटर चोड़ा है। ये जहाज अपने आप में छोटे से शहर की तरह था। जहां पुस्तकालय, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं। इसका वजन 28,700 टन था। 150 अफसर और 1500 नाविकों की तैनाती की जा सकती थी।
Created On :   25 Sept 2020 5:41 PM IST