अंग्रेजी कानून की जगह भारत का अपना संविधान बनना चाहिए

हिन्दू धर्मसेना द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने रखे विचार अंग्रेजी कानून की जगह भारत का अपना संविधान बनना चाहिए




डिजिटल डेस्क जबलपुर। जब देश में सेटेलाइट बन सकता है, कोरोना वायरस जैसी महामारी की वैक्सीन बन सकती है, तो भारत का अपना संविधान भी बनना चाहिए। देश में 500 लॉ कॉलेज और कानून के जानकार मौजूद हैं, ऐसे में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून को भी बदला जाना चाहिए। ये बातें हिन्दू धर्मसेना द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम में दिल्ली से आए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपने उद््बोधन में कहीं। उन्होंने कहा कि मुगलों ने तलवार और अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के हिसाब से कानून बनाकर देश पर राज किया। अल्पसंख्यक कानून और आयोग साजिश के तहत बनाए गए, लॉर्ड मैकाले ने साढ़े 7 लाख गुरुकुल खत्म कर सनातन संस्कृति पर प्रहार किया था। इसी कानून से भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी हुई और वीर सावरकर को काला पानी की सजा मिली थी।
श्री उपाध्याय ने कहा कि संविधान की धारा 14 कहती है सब समान हैं और धारा 15 कहती है भेदभाव मत करो। ऐसे में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का कोई मायने ही नहीं है। फिर भी इस देश में अल्पसंख्यकों का कानून और अल्पसंख्यक आयोग का बनना समझ से परे है। राइट टाउन स्थित मानस भवन सभागार में आयोजित राष्ट्रीय सामाजिक जन जागरण व्याख्यानमाला में श्री उपाध्याय ने बांग्लादेशी घुसपैठ, लवजिहाद जैसे मुद्दों पर भी िवचार रखे। कार्यक्रम का संचालन धर्मसेना के प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने किया। मंच पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश एचपी सिंह, विधायक अशोक रोहाणी, हाईकोर्ट बार अध्यक्ष रमन सिंह, जिला बार अध्यक्ष सुधीर नायक, महाकौशल विवि के कुलपति अनिल तिवारी, अधिवक्ता ब्रह्मानंद हरे, लता सिंह ठाकुर, शशिकांत यादव, दीपक पचोरी व अन्य मौजूद थे।

 

Created On :   10 Oct 2021 10:35 PM IST

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