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स्टार हेल्थ पॉलिसी धारकों को बीमा क्लेम देने की बजाय नो क्लेम करने पर उतारू
डिजिटल डेस्क जबलपुर । बीमा कंपनी अनेक योजना चलाकर आम लोगों को लाभ देने का वादा तो करती है पर जमीनी हकीकत में पॉलिसी लेने के बाद बीमित को जरूरत पडऩे पर दर-दर भटकने मजबूर होना पड़ जाता है और उसके बाद भी बीमा कंपनी किसी तरह की सुनवाई नहीं करती हैं। ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिन्होंने पॉलिसी ली और लगातार प्रीमियम भी भरते आ रहे हैं। सालों से संचालित पॉलिसी की जब अस्पतालों में कैशलेस की जरूरत पड़ी तो बीमा कंपनी हाथ खड़े कर लेती हैं। उसके बाद जब बिल लगाया जाता है तो पुरानी बीमारी छुपाकर इंश्योरेंस कराने की बात करते हुए नो क्लेम का लैटर थमा दिया जाता है। पॉलिसी धारकों का आरोप है कि बीमा कंपनी हमारे साथ धोखा कर रही है और जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह मौन धारण कर दर्शक बने हुए हैं, जबकि कार्रवाई करने का अधिकार स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को है, उसके बाद भी सख्त कदम नहीं उठाते हैं।
केस.1 - चार साल बाद भी इलाज का भुगतान नहीं मिला हमें
धनवंतरी नगर निवासी राज जयसवाल ने बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ले रखी है। पत्नी पूजा जयसवाल का स्वास्थ्य खराब होने के कारण 25 नवंबर 2017 को आदित्य अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। आदित्य अस्पताल में चार दिनों तक चले इलाज के दौरान बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया। अस्पताल का बिल देने के बाद बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज पॉलिसी धारक के द्वारा सब्मिट किए गए। सब्मिट करने के बाद बीमा कंपनी ने अनेक क्वेरी का जवाब माँगा जो पॉलिसी धारक ने दिया। उसके बाद जल्द क्लेम सेटल करने का वादा बीमा कंपनी के अधिकारियों के द्वारा किया गया था पर अचानक नो क्लेम का लैटर स्टार हेल्थ ने भेज दिया। पॉलिसी धारक ने नो क्लेम के संबंध में जानना चाहा तो बीमा कंपनी ने किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया और आज भी पीडि़त बीमा कंपनी के चक्कर लगा रहा है।
केस.2 - टर्म एण्ड कंडीशन का हवाला देकर रिजेक्ट की फाइल
जबलपुर हनुमान मंदिर निवासी अरूण खत्री ने शिकायत में बताया कि उनकी स्टार हेल्थ से पॉलिसी थी। बीमार होने पर उन्हें 25 से 29 जुलाई 2019 तक इलाज के लिए शैल्बी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। वहाँ पर इलाज के दौरान बीमा कंपनी ने किसी भी तरह से मदद नहीं की। यहाँ तक कि कैशलेस करने की बजाय यह कह दिया गया था कि आप बिल जमा करेंगे तो हम उसके बाद आपका सारा भुगतान कर देंगे। पॉलिसी धारक को अस्पताल के 1 लाख 70 हजार के बिल का भुगतान अपने पास से करना पड़ा। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद बीमा कंपनी को सारे बिल के साथ आवेदन दिया था कि हमारे क्लेम का भुगतान किया जाए। पॉलिसी धारक के आवेदन के बाद बीमा कंपनी से अनेक क्वेरी निकाली गई जो बीमित ने सब्मिट की। उसके बाद टर्म एण्ड कंडीशन का हवाला देकर बीमा क्लेम रिजेक्ट करने का लैटर भेज दिया गया।
इनका कहना है
हमारे पॉलिसी धारक को किन कारणों से बीमा क्लेम नहीं मिला है इसका परीक्षण कराया जाएगा। पॉलिसी धारक सीधे ब्रांच में आकर मिलें, हमारे द्वारा जल्द ही उनके क्लेम को सेटल कराने का प्रयास किया जाएगा।
कुलदीप मिश्रा, स्टार हेल्थ
Created On :   2 July 2021 2:51 PM IST