बच्चों को ऑनलाइन क्लास से निकालने की बजाय सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाएं फीस का मामलाः हाईकोर्ट

Instead of remove children from online classes, settle fees matter amicably: High Court
बच्चों को ऑनलाइन क्लास से निकालने की बजाय सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाएं फीस का मामलाः हाईकोर्ट
बच्चों को ऑनलाइन क्लास से निकालने की बजाय सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाएं फीस का मामलाः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संकट के बीच बांबे हाईकोर्ट ने राज्य भर के स्कूलों को कहा है कि वे फीस के मुद्दे को लेकर विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लास से निकालने की बजाए स्कूल सौहार्दपूर्ण ढंग से अभिभावकों के साथ मिलकर ऐसे मुद्दे को सुलझाएं। इससे पहले अतिरिक्त सरकारी वकील गीता शास्त्री ने कहा कि सरकार ने स्कूल की फीस से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए नागपुर, नाशिक, औरंगाबाद, पुणे व मुंबई में विभागीय फीस नियमन कमेटी का गठन किया गया है। यदि किसी अभिभावक को फीस को लेकर शिकायत है तो वह कमेटी से संपर्क कर सकता है।  इसके अलावा और जगहों पर भी कमेटी के गठन की प्रक्रिया जारी है।    

इस पर कोर्ट ने कहा कि इन कमेटियों के कार्यालय के पते को लेकर वेबसाइट के साथ-साथ प्रत्यक्ष रुप से जागरुकता फैलाई जाए। जिससे लोगों को इन कमेटियों के बारे में पता चल सके। भारतीय जनता पार्टी के विधायक अतुल भातखलकर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने यह बात कही। याचिका में मुख्य रुप से फीस न भरने के चलते छात्रों को ऑनलाइन क्लास से निकाले जाने के मुद्दे को उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि स्कूल ऐसी सुविधाओं को लेकर विद्यार्थियों से फीस नहीं ले सकते है जिनका कोरोना काल में छात्र इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि स्कूलों को अपनी 50 प्रतिशत फीस घटाने का निर्देश दिया जाए। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने इस याचिका में अनएडेड स्कूल फोरम और महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन को हस्तक्षेप करने की अनुमति भी दी है। 

अनएडेड स्कूल फोरम की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी सेन ने कहा कि कोरोना के चलते वित्तीय संकट की वजह के चलते जो अभिभावक फीस भरने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं स्कूल की ओर से उन्हें फीस में रियायत दी जा रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि फीस से जुड़े मुद्दे कानूनी पचड़े में पड़ने की बजाय स्कूलों को अभिभावकों के साथ आपसी सहमति व सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि स्कूलों को फीस के मुद्दे को लेकर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से नहीं निकालना चाहिए। स्कूल प्रबंधन को अभिभावकों से सीधे बात करनी चाहिए। क्योंकि बच्चों को स्कूल से निकालने को अच्छी स्थिति नहीं कहा जा सकता है। और यह समाधार भी नहीं है। खंडपीठ ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई 16 जुलाई 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है। 

Created On :   8 July 2021 6:59 PM IST

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