गोद लिए बच्चे को मां की जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश 

Instructions for issuing the mothers caste certificate to the adopted child
गोद लिए बच्चे को मां की जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश 
हाईकोर्ट गोद लिए बच्चे को मां की जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश के तहत गोद लिए हुए बच्चे को गोद लेने वाली मां की जाति से जुड़ा प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर मुंबई के उपजिलाधिकारी को इस बारे में प्रमाणपत्र जारी करने को कहा है। न्यायमूर्ति एसबी सुक्रे व न्यायमूर्ति जीए सानप की खंडपीठ ने अकेले रह रही 44 वर्षीय डाक्टर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश जारी किया। 

अधिवक्ता प्रदीप हवनूर के माध्यम से दायर की गई याचिका में अविवाहित महिला ने दावा किया था कि साल 2009 में मुंबई सिटी सीविल कोर्ट ने बच्चे के गोद लेने की प्रक्रिया को मंजूरी प्रदान की थी याचिका के मुताबित डाक्टर महिला हिंदु अनुसूचित जाति (एससी) की है। गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिला ने साल 2016 में उपजिलाधिकारी के पास अपने बेटे के जाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। आवेदन में महिला ने आग्रह किया था कि उसके बेटे को एससी जाति का प्रमाणपत्र जारी किया जाए। लेकिन उपजिलाधिकारी ने महिला के आवेदन को अस्वीकार कर दिया और बेटे के लिए एससी जाति का प्रमाणपत्र जारी करने से मना कर दिया। इसके बाद जिला जाति पड़ताल कमेटी ने भी महिला की ओर से उपजिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया। कमेटी के मुताबिक गोद लिए बच्चे की जाति को लेकर जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कानून में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

 खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हवनूर ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने जिस बच्चे को गोद लिया है, वह वैधानिक रुप से अपनी मां से जुड़े हर चीज को पाने का हकदार है। इस लिहाजा से मेरे मुवक्किल का गोद लिया हुआ बेटा एससी जाति का प्रमाणपत्र पाने का भी हक रखता है। क्योंकि मेरी मुवक्किल एससी समुदाय की है और गोद लिया बच्चा 12 सालों से उनके साथ रह रहा है। मेरी मुवक्किल के बेटे के नाम पर एससी जाति का प्रमाणपत्र न जारी किया जाना संविधान के तहत एससी समुदाय को संरक्षण देनेवाले प्रावधान का उल्लंघन है। इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में माना है कि वंश कि जाति तथ्य से जुड़ा प्रश्न है। सुप्रीम कोर्ट ने इस धारणा का खंडन किया था कि बच्चे की जाति का निर्धारण पिता की जाति से ही होगा। बच्चे को इस मामले में अपनी बात रखने की भी छूट दी है। इस तरह खंडपीठ ने इन दलीलों को सुनने के बाद महिला के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। इस बारे में अभी विस्तृत आदेश आना बाकी है।                                       
 

Created On :   10 March 2022 9:25 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story