RTI कार्यकर्ताओं की निजी जानकारी सार्वजनिक करने के मामले की जांच का निर्देश

Instructions to investigate the case of making personal information public of RTI activists
RTI कार्यकर्ताओं की निजी जानकारी सार्वजनिक करने के मामले की जांच का निर्देश
RTI कार्यकर्ताओं की निजी जानकारी सार्वजनिक करने के मामले की जांच का निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरटीआई (सूचना का अधिकार कानून ) कार्यकर्ताओं की निजी जानकारी सार्वजनिक करने के मामले कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय को इस मामले के जांच का निर्देश दिया है। मंत्रालय को तीन महीने के भीतर इस जांच को पूरा करने का निर्देश दिया है। क्योंकि सूचना प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट में आरटीआई के तहत किए गए 4474 आवेदन अपलोड किए गए थे। न्यायमूर्ति नीतिन जामदार की खंडपीठ ने सूचना प्रसारणमंत्रालय को इस मामले को लेकर याचिका दायर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले को 25 हजार रुपए कानूनी ख़र्च के रुप में देने को कहा है। हालांकि गोखले ने अपनी निजी जानकारी सार्वजनिक करने के लिए 50 लाख रुपए के हर्जाने की मांग की थी। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इस विषय को लेकर सिविल कोर्ट में जा सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि यदि मंत्रालय इस मामले की जांच नहीं करता तो याचिकाकर्ता दोबारा कोर्ट में आ सकते हैं। 

हाईकोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को सौंपी जिम्मेदारी 

गोखले ने याचिका में दावा किया था कि मंत्रालय की वेबसाइट में उनकी निजी जानकारी नवंबर 2019 में सार्वजनिक की गई थी। गोखले ने कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या में भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। चूंकि उनकी निजी जानकारी सार्वजनिक कर दी गई थी। इसलिए उसे कई अशोभनीय संदेश व धमकी भरे फोन आए। सुनवाई के दौरान के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रुई रॉड्रिक्स ने कहा कि उन्हें साल 2016 में कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी उस निर्देश की जानकारी नहीं थी। जिसके तहत सरकारी कार्यालयों को आरटीआई कार्यकर्ताओ के नाम सार्वजनिक न करने को कहा गया था। जब इस निर्देश की जानकारी हुई तब तक याचिकाकर्ता के आवेदन को वेबसाइट पर जारी कर दिया गया था। ऐसे कुल 4474 आवेदन वेबसाइट में डाले गए थे।अब मंत्रालय ने इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरु की है। इस बात को जानने के बाद खड़पीठ ने कहा कि मंत्रालय याचिकाकर्ता केयाचिका को निवेदन के रुप में देखे और पूरे मामले की जांच तीन महीने में पूरी करे। खंडपीठ ने इस याचिका को समाप्त कर दिया है।

Created On :   5 Nov 2020 6:15 PM IST

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