आरोपी रोना विल्सन को कोर्ट ने दी 14 दिनों की जमानत

Instructions to the lower courts of 11 districts to work with full capacity
 आरोपी रोना विल्सन को कोर्ट ने दी 14 दिनों की जमानत
भीमा-कोरेगांव मामला    आरोपी रोना विल्सन को कोर्ट ने दी 14 दिनों की जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) की विशेष अदालत ने भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में आरोपी रोना विल्सन को 14 दिनों की जमानत प्रदान की है।ताकि वे अपने पिता के अंतिम संस्कार से जुड़ी धर्मिक क्रियाओं में शामिल हो सके। विल्सन को साल 2018 में गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल तलोजा जेल में बंद विल्स को कोर्ट ने 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान की है। न्यायाधीश डीई कोथलीकर ने आरोपी विल्सन को 13 से 27सितंबर के बीच जेल से रिहा करने का निर्देश दिया है। जिससे वे केरल जाकर अपने पिता के अंतिम संस्कार से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो सके। 18 अगस्त 2021 को विल्सन के पिता का निधन हो गया था। 

11 जिलों की निचली अदालतों को पूरी क्षमता के साथ काम करने के निर्देश

कोरोना की स्थिति में सुधार के मद्देनजर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के 11 जिलों की निचली अदालतों को पूरी क्षमता के साथ काम करने का निर्देश दिया है। इससे पहले अहमदनगर,बीड, पुणे, पालघर, सोलापुर,कोल्हापुर रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सागली, सतारा व रायगढ की निचली अदालतों में आधा दिन ही काम होता है, लेकिन अब इन इलाकों में कोविड की स्थिति में सुधार के मद्देनजर हाईकोर्ट की प्रशासकीय कमेटी निचली अदालतों को पूरी क्षमता के साथ पहले की तरह कार्य करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता में कमेटी की बैठक हुई।  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासकीय कमेटी ने इन इलाकों में कोरोना की नियंत्रित होती स्थिति को देखते हुए उपरोक्त निर्देश दिया है। 

बिना विशिष्ट कारण के सामाजिक कार्यकर्ता को जिलाबदर करने के आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को पांच जिलों से जिलाबदर किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता सरफराज मुस्ताक खान को जिलाबदर करने को लेकर जारी किए गए आदेश में किसी विशिष्ट कारण का उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए आरोपी को जिलाबदर करने के आदेश को खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ता खान को पालघर, रायगढ. ठाणे, मुंबई व मुंबई उपनगर जिले से जिलाबदर किया गया था। जिसे खान ने याचिका दायर कर कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में खान ने दावा किया गया था कि उन्हें जिलाबदर करने को लेकर किसी न्यायसंगत कारण का उल्लेख नहीं है। अज्ञात गवाहों के बयान के आधार पर मेरे खिलाफ कार्रवाई की गई है। खान के वकील ने कोर्ट में दावा किया था कि मेरे मुवक्किल सामाजिक कार्यों से जुड़े है। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।  सरकारी वकील ने आरोपी को जिलाबदर करने के आदेश को उचित बताया था और याचिका को खारिज करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने इस याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को जिलाबदर करने के आदेश में किसी विशिष्ट कारण का उल्लेख नहीं है। अपीलीय प्राधिकरण ने भी इस मामले में तकनीकि तरीके से ठाणे के पुलिस उपायुक्त (जोन एक) की ओर से जारी आदेश को पुष्ट किया है। इसलिए याचिकाकर्ता को जिलाबदर करने के आदेश को निरस्त किया जाता है। 
 

Created On :   7 Sept 2021 2:32 PM IST

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