लाभ देने के वादे को तोड़ रहीं इंश्योरेंस कंपनियाँ..! पॉलिसीधारकों ने लगाया विश्वासघात का आरोप 

लाभ देने के वादे को तोड़ रहीं इंश्योरेंस कंपनियाँ..! पॉलिसीधारकों ने लगाया विश्वासघात का आरोप 
लाभ देने के वादे को तोड़ रहीं इंश्योरेंस कंपनियाँ..! पॉलिसीधारकों ने लगाया विश्वासघात का आरोप 

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोविड-19 का बीमा कराने वाले पॉलिसी धारक को लाभ देने का वादा किया गया। जब बीमित व्यक्ति को जरूरत पड़ी तो बीमा कंपनी शर्त के अनुसार लाभ देने से पीछे हट रही है। यह आरोप किसी एक ने नहीं बल्कि कई पॉलिसी धारकों ने लगाया है। उनका कहना है कि पॉलिसी होने के बाद भी संक्रमण के शिकार व्यक्ति को जेब से अस्पताल का बिल भरना पड़ रहा है। बीमा कंपनी क्लेम देने के लिए तैयार नहीं हैं। अस्पताल व दवाइयों के बिलों को भी बीमा कंपनी दरकिनार कर रही है। कंपनियों के जिम्मेदार सीधे तौर पर पॉलिसी धारकों से बात नहीं कर रहे हैं और उनके एजेंट भी वर्तमान में हाथ खड़े करते नजर आ रहे हैं। इस महामारी के दौर में अगर बीमा कंपनियों का यह रवैया सीधे-सीधे पॉलिसी धारकों के साथ धोखाधड़ी है।
बेनिफिट पॉलिसी क्या है सर्वेयर को ही नहीं मालूम - पॉलिसी धारकों का कहना है कि इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी का काफी नाम है। इनके जिम्मेदार अधिकारियों का नंबर कभी नहीं लगता है। कंपनी के सर्वेयर उमाशंकर दास से पूछा गया कि आप कंपनी के सर्वेयर हैं आप बेनिफिट पॉलिसी के बारे में बताएँ, तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। उनका कहना था कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम। इससे साफ जाहिर होता है कि कंपनी के सर्वेयर को ही नहीं मालूम है कि पॉलिसी के नियम क्या हैं तो वो किस तरह से सर्वे करते होंगे..?।
इन नंबरों पर बताएँ बीमा से संबंधित समस्या  
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1 -  सर्वे करने के बाद बंद कर दी फाइल 
यादव कॉलोनी निवासी रोहन चतुर्वेदी ने शिकायत में बताया कि उन्होंने कोविड-19 के लिए बेनिफिट पॉलिसी इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी से ली थी। नियम के अनुसार पॉलिसी धारक तीन दिन लगातार अस्पताल में भर्ती रहा है तो उसके अकाउंट में ढाई लाख रुपए कंपनी जमा करा देगी। रोहन का कहना है कि वह कोरोना के संक्रमण के कारण वे अक्टूबर 2020 में 11 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे। इस दौरान इलाज में उनका लाखों रुपए खर्च हो गया। उनका आरोप है कि उनके द्वारा इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी में अस्पताल का बिल क्लेम किया गया। अस्पताल के सारे बिल लगाए गए और दो बार दस्तावेज भी उपलब्ध कराए गए, पर आज तक बिल का भुगतान नहीं किया गया। अब कंपनी ने सर्वे कराने के बाद फाइल बंद कर दी है।
केस.2 - बीमा कंपनी नहीं दे रही अस्पताल का बिल
बरगी निवासी सौरभ यादव ने बताया कि उनके पिता प्रदीप यादव एसबीआई इंश्योरेंस से स्वास्थ्य बीमा आठ वर्षों से कराते आ रहे हैं। 20 अगस्त 2020 को अचानक स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका लगातार इलाज चला। इलाज के दौरान इंश्योरेंस कंपनी को सूचित किया गया। कंपनी के सर्वेयर के द्वारा आकर चैक किया गया। उनका कहना है कि हमने अस्पताल व दवाइयों के बिल कंपनी में जमा कराए। क्लेम के संबंध में जब भी इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क किया गया, तो यही जवाब मिला की परीक्षण चल रहा है। तीन माह बाद दोबारा संपर्क किया गया तो कंपनी के द्वारा यह कह दिया गया कि आपका क्लेम देने लायक नहीं हैं। उन्होंने बताया कि पिता के खाते से इंश्योरेंस कंपनी लगातार प्रीमियम भी काट रही है पर क्लेम देने से पीछे हट रही है।
केस.3 - डेढ़ लाख के बिल में मिले केवल 27 हजार 
जसूजा सिटी निवासी हेमंत तिवारी का पूरा परिवार कोरोना संक्रमण का शिकार हो गया था। हेमंत ने बताया कि बच्चों व पत्नी का घर पर इलाज हुआ और मैं व मेरी माँ मनोरमा तिवारी निजी अस्पताल में भर्ती थे। 18 से 23 सितम्बर 2020 तक लगातार उपचार चलता रहा। इस दौरान अस्पताल का बिल एक लाख से अधिक बन गया। हेमंत ने बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी। उनके द्वारा कंपनी में सारे दस्तावेज के साथ क्लेम किया गया था। बीमा कंपनी ने 1 लाख 43 हजार 403 रुपए की एवज में 27 हजार 417 रुपए का क्लेम देकर इतिश्री कर दी। हेमंत का आरोप है कि स्टार हेल्थ कंपनी से इंश्योरेंस कराना मतलब धोखा ही है, वो उनके क्लेम की शेष राशि नहीं दे रही है। इंश्योरेंस के समय तो सारे बेनिफिट देने का वादा किया गया था, पर अब सीधे तौर पर कंपनी अपने दावे से मुकर रही है।
इनका कहना है
पॉलिसी धारक को हमारे यहाँ से लगातार सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है। अगर वह दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराता है तो उस स्थिति में हम क्लेम नहीं देते हैं। अगर बीमित व्यक्ति बाद में भी सारे दस्तावेज उपलब्ध करा देता है तो हम बिलों का भुगतान रिलीज कर देते हैं।
अंकित पांडे, ब्रांच मैनेजर इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी
 

Created On :   29 April 2021 2:36 PM IST

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