दगा दे रहीं बीमा कंपनियाँ, वक्त पर नहीं मिल रहा क्लेम

Insurance companies cheating, not getting claim on time
दगा दे रहीं बीमा कंपनियाँ, वक्त पर नहीं मिल रहा क्लेम
दगा दे रहीं बीमा कंपनियाँ, वक्त पर नहीं मिल रहा क्लेम

कोरोना की त्रासदी ने बढ़ाया दर्द, पॉलिसी धारकों ने कहा- पूरा प्रीमियम लेने के बाद भी अब जरूरत पर नहीं दी जा रही राशि
 डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
अपनी मेहनत की कमाई से कटौती करके लोग यही सोचकर हेल्थ बीमा कराते हैं कि जरूरत पर यह राशि उनके जीवन की रक्षा में काम आएगी। हैरानी की बात है कि कोरोना की त्रासदी के इस दौर में जब लोगों को आर्थिक मदद की ज्यादा जरूरत है, तब बीमा कंपनियाँ क्लेम देने से पल्ला झाड़ रही हैं। इसके कुछ उदाहरण भी सामने आए हैं, जो पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पॉलिसी धारकों का आरोप है कि नियमानुसार बीमा की प्रीमियम किश्त देने के बाद भी संबंधित बीमा कंपनियाँ अब क्लेम देने में आनाकानी कर रही हैं। अधिकारी भी इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस बात का खामियाजा कोरोना का दर्द झेल रहे मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें अस्पतालों में नकद राशि देनी पड़ रही है। समस्या को लेकर पॉलिसी धारकों में आक्रोश है। उनका कहना है कि यह परिस्थिति बीमा कंपनियों के क्लेम में विलंब की वजह से बन रही है। संभवत: अस्पताल प्रबंधन इस बात से आशंकित रहते है कि बीमा की राशि उन्हें समय पर मिल नहीं पाएगी। 
जब जरूरत थी तब मिला धोखा
कोविड के मरीज हरजीत ओबेराय ने बताया कि उन्होंने दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस लिमिटेड कंपनी की पॉलिसी ली थी। अक्टूबर 2020 में अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर चैक कराया तो वे कोविड पॉजिटिव निकले। निजी अस्पताल में इलाज कराने के दौरान उनके मोबाइल नंबर पर 7566654117 से फोन आया और सामने वाले ने अपना परिचय देते हुए कहा कि अगर आप अस्पताल में भर्ती हैं, तो इसी नंबर पर फोटो पलंग पर लेटे हुए खींचकर भेजें। इस व्यवहार की उनके द्वारा लिखित शिकायत भी की गई है। श्री ओबेराय ने बीमा क्लेम किया तो उनका बिल कटौती होने के पाँच महीने बाद पास हो पाया।
नकद रुपए लेकर शुरू किया इलाज
रांझी रक्षा नगर निवासी कमलेश कुशवाहा का सीजीएचएस कार्ड है और वे कोरोना संक्रमण के शिकार हैं। उनका आरोप है कि उन्हें उक्त योजना का लाभ नहीं दिया गया। इलाज के लिए वे कई निजी अस्पतालों में गए, लेकिन वहाँ जगह नहीं मिली और आखिर में लाइफ मेडिसिटी अस्पताल में बेड मिला तो उनके बेटे आशुतोष को 1 लाख 25 हजार रुपए नकद जमा करने पड़े तब इलाज शुरू हो पाया। आशुतोष का कहना है कि पिताजी को लेकर वे मेडिकल कॉलेज व विक्टोरिया भी गए थे, लेकिन वहाँ पर उनके पिता को बेड नहीं मिला। सीजीएचएस के अधिकारियों ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। सीजीएचएस के अधिकारी अस्पताल प्रबंधन के बीच समन्वय स्थापित करा देते तो ऐसे हालात नहीं बनते।
देखते ही कह दिया नकद लगेंगे रुपए
विजय नगर निवासी देवेन्द्र कुररिया ने बताया कि उन्होंने चोला एम्स हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से अपना हेल्थ इंश्योरेंस कराया है, इसमें पूरे परिवार के सदस्यों को कवर किया गया है। श्री कुररिया का आरोप है कि जब वे कोरोना संक्रमण के शिकार हुए तो उनके परिवार के सदस्य उन्हें लेकर कई निजी अस्पतालों में गए। जैसे ही अस्पताल प्रबंधन के लोगों ने चोला एम्स हेल्थ इंश्योरेंस का नाम सुना, तो उन्होंने सीधे यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि अभी अस्पताल में किसी भी तरह का बीमा नहीं चल रहा है। इलाज कराना है तो कैश रुपए जमा करने होंगे। इंश्यारेंस कंपनी के एजेंट ने भी हाथ खड़े कर लिए। अंतत: हमने नकद राशि जमा की, तब इलाज शुरू हो पाया। 
इनका कहना है
बीमित व्यक्ति को क्लेम का लाभ नहीं दिया जाना गलत है और यह शर्तों का उल्लंघन भी है। यदि इस तरह की शिकायत आती है, तो जाँच के बाद न्यायसंगत कार्रवाई की जाएगी।
-सिद्धार्थ बहुगुणा, एसपी, जबलपुर 
 

Created On :   19 April 2021 8:52 AM GMT

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