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अंतरधार्मिक विवाह : विभिन्न जाति-धर्म के 130 करोड़ लोगों का एक साथ रहना अजूबा, अदालत ने कहा - यही इस देश की खुबसूरती
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विभिन्न धर्म, जाति व संप्रदाय के 130 करोड़ लोग भारत में एक साथ रहते हैं, जो इस देश की सुंदरता भी है और एक अजूबा भी। मंगलवार को बांबे हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह करनेवाली बेटी के पिता को समझाते हुए यह बात कही। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने भी अंतरजातिय विवाह को प्रोत्साहन देने की बात की है। करीब डेढ़ महीने से लापता बेटी को अदालत में हाजिर करने का निर्देश देने की मांग को लेकर लड़की के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में पिता ने कहा था कि पुलिस को उन्हें अपनी बेटी को सौपने का निर्देश दिया जाए। इसके तहत पुलिस ने लड़की को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने अदालत में पेश किया। इस दौरान लड़की ने कहा कि उसने उस लड़के के साथ विवाह कर लिया है और वह अपने पति के साथ ही रहना चाहती है।
खंडपीठ ने लड़की की बात को जानने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता की बेटी वयस्क है। इसलिए उसे कानूनी रुप से अपनी पसंद के लड़के से विवाह करने का अधिकार है। वह अपनी इच्छा से कही पर भी जा सकती है और कहीं भी रह सकती है। खंडपीठ ने कहा कि हमारे देश में करीब तीन हजार जाति, धर्म और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं। जो विविधता में एकता को दर्शाती है। यहां करीब 130 करोड़ लोग मिलजुल कर रहते हैं, जो इस देश की सुंदरता भी हैं और एक अजूबा भी। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक आदेश में अंतरजातिय विवाह को प्रोत्साहित करने की बात कही है। चूंकि इस मामले में लड़की 19 साल की है और वह अपने पति के साथ रहने की इच्छुक है, इसलिए हम लड़की को उसके माता-पिता को सौपने का निर्देश नहीं दे सकते। क्योंकि कानूनी रुप से लड़की के पास अपनी पसंद के लड़के के साथ विवाह करने का हक है। वह अपनी इच्छा से कही पर भी जा सकती है।
Created On :   9 Feb 2021 7:47 PM IST