पड़ताल - रख रखाव में गंभीर खामियों के चलते 26 हजार क्विंटल गेहूं में हुआ आटा फार्मेशन

Investigation - 26 thousand quintal wheat flour formation due to serious flaws in maintenance
पड़ताल - रख रखाव में गंभीर खामियों के चलते 26 हजार क्विंटल गेहूं में हुआ आटा फार्मेशन
पड़ताल - रख रखाव में गंभीर खामियों के चलते 26 हजार क्विंटल गेहूं में हुआ आटा फार्मेशन

सीहोर से आए तीन साल पुराने गेहूं को बालाघाट, वारासिवनी व कटंगी में किया गया भण्डारित 
डिजिटल डेस्क बालाघाट।
तीन दिन पहले सीहोर से बालाघाट भेजा गया 26 हजार क्विंटल पोल्ट्री ग्रेड का गेहूं तीन साल पुराना है। और इसे नान ने यहां पीडीएस में बटने तब भेजा जबकि इसमें आटा फारमेशन होने लगा। जानकारों के मुताबिक ऐसा भंडारण के दौरान गेहूं के रख-रखाव की वजह से हुआ। जानकार तो इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि तीन साल पहले खरीदा गया गेहूं इससे पहले वितरण के लिए क्यों नहीं भेजा गया। इधर 11 जनवरी को यहां आए उक्त अमानक गेहूं को बालाघाट, वारासिवनी व कटंगी के गोदामों में भंडारित किया गया है। 
कम उत्पादन की वजह से बुलाई थी रेक 
 सूत्रों के मुताबिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए बालाघाट जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं की खपत तुरंत हो जाती है चूंकि पीडीएस के लिए मांग के अनुरूप जिले में गेहूं का उत्पादन नही हो रहा हैं ऐसी स्थिति मेें सिहोर से गेहूं मंगाया गया था। नान के जिला प्रबंधक अमित गौंड के अनुसार रैक उतरने के बाद जैसे ही गेहूं का खराब होना पाया गया, इसका वितरण कलेक्टर के निर्देश पर रोक दिया गया है। उन्होंने कहा कि वितरण के लिए प्राप्त गेहूं के प्रथम दृष्टया खराब होना पाया गया है। चूंकि रेलवे से प्राप्त गेहूं को भण्डारित करन जरूरी था इसलिए 21 हजार 500 क्विंटल गेहूं गोंगलई स्थित मप्र वेयर हाउस कार्पोरेशन के गोदाम में भण्डारित किया गया है। 1500 क्विंटल वारासिवनी तथा शेष तीन हजार  क्विंटल गेहूं कटंगी के गोदाम में भण्डारित कराया गया है। 
इतना पुराना गेहूं खाने योग्य नहीं
जानकारों के मुताबिक तीन वर्ष पुराने गेहूं का उपयोग स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से किया जाना उचित नही हैं। अब जबकि गेहूं में आटा फार्मेशन हो गया है, इसका वितरण किये जाने से आने वाले समय में गरीबों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पडऩे की भी आशंका है। जानकार इस गेहूं के उपयोग के, उससे होने वाले मनुष्य के शरीर के लिए नुकसान को लेकर वैज्ञानिक राय भी लिए जाने की जरूरत भी बताते हैं।

Created On :   15 Jan 2021 3:47 PM IST

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