नकली रेमडेसिविर मामले में सबूतों के आधार पर कार्रवाई करें जाँच अधिकारी - हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप याचिका का निराकरण

Investigation officer should take action on the basis of evidence in fake Remedesvir case
नकली रेमडेसिविर मामले में सबूतों के आधार पर कार्रवाई करें जाँच अधिकारी - हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप याचिका का निराकरण
नकली रेमडेसिविर मामले में सबूतों के आधार पर कार्रवाई करें जाँच अधिकारी - हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप याचिका का निराकरण

डिजिटल डेस्क  जबलपुर ।  मप्र हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में जाँच अधिकारी सबूतों के आधार पर कार्रवाई करें। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने हस्तक्षेप याचिका का निराकरण करते हुए स्पष्ट किया है कि जनहित याचिका के जरिए मामले में धारा 302 लगाए जाने का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।  नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने और लगाने वाले आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 27 के तहत प्रकरण दर्ज करने हस्तक्षेप याचिका दायर की गई थी। अधिवक्ता संजय वर्मा, श्रद्धा तिवारी और मीना वर्मा ने तर्क दिया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने से कोरोना पीडि़त कई मरीजों की मौत हुई है, जिसकी पुलिस में शिकायत की जा रही है, इसलिए आरोपियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह भी तर्क दिया गया कि नकली इंजेक्शन बेचने के मामले में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 27 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। इस धारा में 10 साल की सजा के साथ 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही जुर्माने की राशि मृत मरीजों के परिजनों को दी जाती है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने याचिका निराकृत कर दी है। 
 

Created On :   26 May 2021 2:36 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story