आईआरडीएआई की खामोशी से उपभोक्ताओं की मुश्किलें ज्यादा बढ़ीं

IRDAIs silence increased the problems of consumers
आईआरडीएआई की खामोशी से उपभोक्ताओं की मुश्किलें ज्यादा बढ़ीं
आईआरडीएआई की खामोशी से उपभोक्ताओं की मुश्किलें ज्यादा बढ़ीं

ग्राहकों का आरोप - बीते 10 सालों में लोकपाल द्वारा पारित आदेश न मानने पर किसी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस  कंपनियाँ कोरोना काल में बेखौफ
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
 बीमा कंपनियाँ यदि उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान नहीं कर पातीं तो उम्मीद की जाती है कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण उनके साथ न्याय कराएगा।  किसी भी तरह से इंश्योरेंस रेगुलेटरी एण्ड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया उनका अहित नहीं होने देगी, लेकिन हालात बताते हैं कि   नियामक बनाने वाले ही नियम का पालन कराने तैयार नहीं हैं। बीते साल आईआरडीएआई ने खुद स्पष्ट किया कि बीते 10 सालों में उसने किसी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। बीमा लोकपाल ने जो आदेश पारित किये उनका पालन नहीं होने पर ऐसी कंपनियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए गए। उपभोक्ता कहते हैं कि इस तरह के रवैये से स्पष्ट है कि नियामक यूनिट उपभोक्ताओं की शिकायत को कितना महत्व देती हैं। कोरोना काल में अभी जब ज्यादा शिकायतें हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े मामले को लेकर है। उनका कुछ दिनों में समाधान होना चाहिए, पर मामलों को लटकाया जा रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि  आईआरडीएआई से ज्यादा उम्मीदें ग्राहकों को नहीं करनी चाहिए। जब पहले कदम नहीं उठाये तभी तो  कोरोना काल में हजारों की संख्या में ग्राहक हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को लेकर परेशान हैं। 
कितने परेशान हैं ग्राहक 
वित्तीय वर्ष 2019-20 की शुरुआत में देश भर में बीमा लोकपाल के कार्यालयों में जीवन और गैर जीवन और स्वास्थ्य बीमा सहित 11281 शिकायतें लंबित थीं। इसी वर्ष 27257 शिकायतें और प्राप्त हुईं जिससे कुल शिकायतों की संख्या 38538 हो गई। इनमें से 29816 शिकायतों का समाधान  किया जा सका।  इसी साल 8722 शिकायतें ऐसी थीं जिनका समाधान नहीं किया जा सका है। हर साल औसतन 8 से 10 हजार शिकायतें ऐसी होती हैं जिनका समाधान नहीं मिल पा रहा है। विशेष बात यह है कि इससे आगे के वित्तीय वर्ष में 2020-21 में स्वास्थ्य बीमा संबंधी शिकायतों की संख्या बढ़ गई है। स्वास्थ्य बीमा के बाद क्लेम केस का समाधान नहीं होने से यह संख्या बढ़ती जा रही है।
नियम कई, पालन कभी नहीं
उपभोक्ता का अहित न हो इसके लिए नियम तो सभी तरह से बनाये गये हैं, पर जब नियमों के पालन की बारी आती है तो उनकी अनदेखी शुरू हो जाती है। जबलपुर, सतना, शहडोल, सिंगरौली, रीवा, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा आदि आसपास के 18 से 20 जिलों से स्टार हेल्थ, इफको टोकियो, केयर हेल्थ, ओरियेंटल इंश्योरेंस और अन्य हेल्थ  इंश्योरेंस से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ सैकड़ों क्लेम की शिकायतें हैं जिनका समाधान नहीं हो पा रहा है। इन कंपनियों के खिलाफ लोकपाल से लेकर जिला  प्रशासन तक उपभोक्ताओं ने शिकायत की है। इन शिकायतों में आरोप है कि सभी दस्तावेज देने के बाद  क्लेम सेटल नहीं किया जा रहा है।

Created On :   11 Jun 2021 5:11 PM IST

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