विडंबना- बादल छाते ही धड़कने लगता है भटौली वासियों का दिल, मदन महल से हटाकर बसाया लेकिन सुविधाएँ नहीं

Ironically - the cloud starts beating, the heart of the people of Bhatauli, removed from Madan Mahal and settled
विडंबना- बादल छाते ही धड़कने लगता है भटौली वासियों का दिल, मदन महल से हटाकर बसाया लेकिन सुविधाएँ नहीं
विडंबना- बादल छाते ही धड़कने लगता है भटौली वासियों का दिल, मदन महल से हटाकर बसाया लेकिन सुविधाएँ नहीं

पहले विस्थापित हुए, अब हो गए उपेक्षित, न किश्तें मिल रहीं न मदद
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मदन महल पहाड़ी पर बसे लोगों को न्यायालय के आदेश पर विस्थापित किया गया और उन्हें नर्मदा किनारे भटौली में बसा दिया गया। यहाँ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें प्लॉट दिए गए और सरकारी मदद से मकान बनने शुरू हुए। अब तक यहाँ केवल कुछ ही लोग ऐसे हैं जिनके मकान पूरी तरह बन चुके हैं। अधिकांश को दूसरी किश्त ही मिल पाई है, जिससे अभी तक न तो मकान में प्लास्टर हुआ है और न ही फर्श डल पाया है। गत दिवस आई अंधड़ ने कई घरों की सीमेंट शीट और टीन की चादरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। अब यहाँ न तो सरकारी सुविधाएँ ही मिल पा रही हैं और न ही समाजसेवी लोग ही यहाँ के लोगों की मदद कर रहे हैं। मदन महल पहाड़ी से तीन साल पहले करीब ढाई से तीन हजार लोगों को विस्थापित किया गया था। यहाँ से कुछ लोगों को भटौली में प्लॉट दिए गए जबकि कुछ को तेवर में। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सभी को मकान बनाने की सहायता भी दी गई, लेकिन अधिकतम दूसरी किश्त ही मिल पाई और लोगों के मकान आधे-अधूरे ही रह गए हैं। पहले साल की गर्मी और बारिश तो लोगों ने केवल तिरपाल में ही काट दी थी। अब जाकर कुछ लोगों के मकान बन पाए हैं लेकिन वे भी अधूरे ही हैं। 
अंधड़ में उड़ गईं शीटें 6 भटौली में रहने वाली अनीता शाह ने बताया कि बड़ी मुश्किल से उसने मकान में सीमेंट शीट की छत बनाई गई थी, जो मंगलवार को आई अंधड़ में उड़ गई। अब उसका पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे है। दीवारें खड़ी रह गई हैं लेकिन पानी से पूरी गृहस्थी भीग रही है। इसी प्रकार अंकित साहू ने बताया कि बारिश और अंधड़ से उसके मकान की दीवार ही गिर गई है। चूँकि दीवार में प्लास्टर नहीं हो पाया था इसलिए ऐसा हुआ। यहाँ के अधिकांश लोगों के मकानों का यही हाल है। किसी के मकान में फर्श नहीं डला है तो किसी की दीवारों पर प्लास्टर नहीं हुआ है। 
नहीं पहुँच रही राहत सामाग्री
बताया जाता है कि बस्ती में ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जिनके पास अब खाने को अनाज नहीं हैं। यहाँ से प्रशासन ने मुँह मोड़ लिया है और किसी भी प्रकार की सरकारी मदद नहीं दी जा रही है। शहर के समाजसेवी भी यहाँ नहीं पहुँचते हैं जिससे लोगों को खाने-पीने की सामग्री नहीं मिल पा रही है। ये लोग शहर में थे तो घरों में काम करते थे लेकिन अब कफ्र्यू के कारण ये शहर आ भी नहीं पाते हैं। लोगों का कहना है कि संक्रमण की पहली लहर में काफी कुछ दानदाता बस्ती में आते रहते थे लेकिन इस बार उन्होंने भी मुंह फेर लिया है।
 

Created On :   20 May 2021 4:29 PM IST

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