क्या यह माफिया में नहीं आता सरकार - खसरा नंबर 662 की कई जाँच होने के बावजूद संबंधितों की रहस्यमयी चुप्पी 

Isnt this the government in the mafia - mysterious silence after several investigations of measles number 662
क्या यह माफिया में नहीं आता सरकार - खसरा नंबर 662 की कई जाँच होने के बावजूद संबंधितों की रहस्यमयी चुप्पी 
क्या यह माफिया में नहीं आता सरकार - खसरा नंबर 662 की कई जाँच होने के बावजूद संबंधितों की रहस्यमयी चुप्पी 

तालाब मद और ग्रीन बेल्ट की अरबों की जमीन बेचने वाले क्या भू-माफिया नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मेडिकल अस्पताल के पीछे खसरा नंबर 662 की जमीन का घोटाला इस दशक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इस जमीन के जालसाजों को जाने क्यों च्माफियाज् नहीं माना जा रहा है। प्रदेश सरकार शहर के माफियाराज, गुंडाराज, जालसाजी में लिप्त लोगों को खत्म करने के मूड में है। मुख्यमंत्री, गृहमंत्री के सख्त आदेश हैं कि जिस शहर में भी सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा है, उसे नेस्तनाबूत कर दिया जाए। इतना ही नहीं ड्रग माफियाराज और गुंडाराज के दबदबे को भी खत्म किया जाए, लेकिन जबलपुर मेडिकल अस्पताल के पीछे स्थित खसरा नंबर 662 की जमीन के मामले में न जाने क्यों प्रभावी कार्रवाई की रूपरेखा अभी भी तय नहीं हो सकी है। 
मेडिकल अस्पताल के पीछे गढ़ा पुरवा स्थित खसरा नंबर 662 तालाब व ग्रीन बेल्ट की जमीन है। इस जमीन को क्षेत्रीय दबंगों ने जालसाजी करके औने-पौने दामों पर सरकारी, ग्रीन बेल्ट और सीलिंग की जमीन पर प्लॉटिंग करके बेच दिया। इस जमीन की वास्तविकता जानने के लिए प्रशासन ने दो से तीन बार जाँच भी कराई, जिसमें जमीन के जालसाजों का खुलासा भी हो चुका है। इसके बावजूद प्रशासन ने खसरा नंबर 662 के दबंग जालसाजों को माफिया दमन दल के दायरे में नहीं रखा और न ही इनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई करने की योजना बनाई है, जबकि इस खसरा नंबर के कुछ क्षेत्रफल में से अधिकांश हिस्सा सरकारी, सीलिंग और ग्रीन बेल्ट का है। इससे साफ होता है कि कहीं न कहीं भू-माफिया का दबदबा प्रशासन पर आज भी बरकरार है।
मेडिकल अस्पताल के पीछे खसरा नंबर 662 की तालाब व ग्रीन बेल्ट की जमीन के बारे में 2018 में शिकायत हुई थी, तब संभागायुक्त आशुतोष अवस्थी थे। उनके स्थानांतरण के बाद 2019 में राजेश बहुगुणा ने संभागायुक्त का पदभार ग्रहण किया और कुछ ही दिनों बाद अप्रैल 2020 में रविन्द्र कुमार मिश्रा संभागायुक्त बनकर आये। इनके पास भी तालाब की जमीन को खुर्दबुर्द करने का मामला संज्ञान में लाया गया, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। इनके स्थानांतरण के बाद महेशचन्द्र चौधरी ने पदभार ग्रहण किया, जिन्हें जबलपुर के हर क्षेत्र की वास्तविक जानकारी थी। उन्होंने संभागायुक्त का पद ग्रहण करते ही दैनिक भास्कर की खबर को संज्ञान में लिया और इस मामले में दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने कलेक्टर से खसरा नंबर 662 की संपूर्ण जाँच वाली फाइल मँगाने का पत्र जारी कर दिया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके पत्र का जवाब अभी तक नहीं दिया। अंतत: उनका स्थानांतरण भी हो गया और वे सेवानिवृत्त भी हो गए। उसके बाद भी खसरा नंबर 662 की फाइल नहीं भेजी गई। वर्तमान में जबलपुर कमिश्नर का प्रभार बी. चन्द्रशेखर के कंधों पर है। उन्होंने खसरा नंबर 662 की फाइल खुलवाने का भरोसा दिलाया है। इसी प्रकार तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज व भरत सिंह यादव जिन्होंने जाँच कराई थी, उनका भी स्थानांतरण हो चुका है और वर्तमान में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा हैं। इतने अधिकारियों का शहर से स्थानांतरण व पदस्थापना हो चुकी है। इसके बाद भी खसरा नंबर 662 की फाइल ज्यों की त्यों कलेक्ट्रेट में दबी हुई है।
जाँच में हो चुका जमीन को खुर्द-बुर्द करने का खुलासा
खसरा नंबर 662 की जमीन की वास्तविकता जाँचने के लिए तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज व भरत सिंह यादव ने अलग-अलग जाँच टीम बनाई और उक्त खसरा नंबर की संपूर्ण जाँच करवाई है। दोनों जाँच टीम में एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार की देखरेख में राजस्व अधिकारियों के साथ आरआई-पटवारी, नगर निगम कॉलोनी सेल और टीएण्डसीपी के अधिकारियों को शामिल किया गया और बारीकी से जाँच कराई गई है। उक्त दोनों जाँच दलों ने तालाब व ग्रीन बेल्ट की जमीन के अलावा सरकारी, सीलिंग जमीन में कब्जा होने का खुलासा किया है। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारियों ने उक्त जमीन के कब्जेधारियों को हटवाने का प्रयास आज तक नहीं किया गया। 
अब जानिए ...क्या कहते हैं जिम्मेदार 
फाइल भेजने दोबारा 
पत्र लिखा जाएगा
* कलेक्टर कार्यालय से यदि फाइल अभी तक नहीं भेजी गई है तो उन्हें दोबारा पत्र लिखा जाएगा अैर फाइल भेजने के लिए कहा जाएगा। उस जाँच फाइल के आधार पर कार्रवाई कराने के लिए आदेशित किया जाएगा।
बी. चन्द्रशेखर, संभागायुक्त
रिकॉर्ड निकलवाकर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी
* खसरा नंबर 662 का पूरा रिकॉर्ड निकलवाता हूँ और जाँच फाइल में जो भी जाँच रिपोर्ट होगी, उसके आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित करूँगा। अभी तक मैं फाइल को देख नहीं पाया हूँ। फाइल बुलवाई गई है, जो संभव हो सकेगा उसे करने का प्रयास किया जाएगा।
कर्मवीर शर्मा, कलेक्टर
 

Created On :   18 Jan 2021 2:00 PM IST

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