राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने का निर्देश

It is difficult to believe that not a single death was caused by lack of oxygen.
राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने का निर्देश
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा-यह मानना मुश्किल है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने का निर्देश

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक ने ओपन कोर्ट में कहा कि यह मानना मुश्किल है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से 77 मौतें होने का विवरण मीडिया रिपोर्ट में प्रकाशित किया जा चुका है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिवीजन बैंच ने इस मामले में राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बैंच ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को ब्लैक फंगस, वाइट फंगस और कोरोना जनित बीमारियों के लिए आवश्यक इंजेक्शन और दवाइयों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार के प्रयासों को सराहा 
डिवीजन बैंच ने मंगलवार को कोरोना की तीसरी लहर के लिए राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है। राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को पेश 11वीं रिपोर्ट में बताया गया कि प्रदेश में 188 ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिसमें से 61 ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं। शेष ऑक्सीजन प्लांटों का काम 4 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। सरकार की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रदेश के 52 में से 14 जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन लगाई जा चुकी है। शेष जिला अस्पतालों में सितंबर अंत तक सीटी स्कैन मशीन लगा दी जाएगी। 
दिसंबर के अंत तक सभी को लगा दी जाएगी वैक्सीन की दोनों डोज 
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि दिसंबर के अंत तक प्रदेश में सभी पात्र नागरिकों को वैक्सीन की दोनों डोज लगा दी जाएगी। सितंबर के अंत तक 18 वर्ष से अधिक आयु वालों को वैक्सीन की पहली डोज दे दी जाएगी। 5 अगस्त तक प्रदेश में 52 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दे दी गई है। िरपोर्ट में कहा गया कि प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 1230 वेंटिलेटर हैं, जिनमें 23 कार्यरत नहीं हैं। जिला अस्पतालों में 567 वेंटिलेटर हैं, जिसमें से 8 कार्यरत नहीं हैं।
ऐसे आया सुनवाई में नया मोड़ 
हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान एक आवेदन दायर कर कहा गया कि ऑक्सीजन की कमी से जान गँवाने वालों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पूर्व में दाखिल जवाब में कहा जा चुका है कि ऑक्सीजन की कमी से प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई है। इस पर चीफ जस्टिस ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह मानना मुश्किल है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि सरकार के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही शपथ पत्र के जरिए कह चुके हैं कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है, ऐसे में मामले की जाँच निष्पक्ष एजेन्सी से कराई जानी चाहिए। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने एक बार फिर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से हुईं मौतों पर विस्तृत जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव और उप महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड मौजूद थे। 
निजी अस्पतालों में रेट पुनर्निर्धारण पर विचार करने के निर्देश 
डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को निजी अस्पतालों के रेट का पुनर्निर्धारण करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान बताया गया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर 5 अगस्त को निजी अस्पतालों में कोरोना के रेट तय करने के लिए बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में राज्य सरकार के अधिकारी, कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में कोर्ट मित्र ने सुझाव दिया कि प्रदेश के प्रत्येक शहर में सभी श्रेणी के अस्पतालों के लिए एक समान रेट तय करना उचित नहीं है। 
 

Created On :   11 Aug 2021 1:38 PM IST

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