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फसल बरबादी पर किसान की सहायता सरकार का नीतिगत मामला - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि कम बरसात के चलते हुई फसल की बरबादी के लिए किस किसान को सहायता दी जाए। यह तय करना सरकार का नीतिगत मामला है। इसलिए कम बारिश के चलते 50 प्रतिशत फसल बरबाद होने की स्थिति में मुआवजा देने की राज्य सरकार की नीति में हमे कोई खामी नजर नहीं आती है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए उपरोक्त बात कही। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोडकर ने दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि राज्य सरकार द्वारा सूखा ग्रस्त इलाके के किसानों के मुआवजे के लिए बनाई गई नीति की उस शर्त को रद्द कर दिया जाए जिसके तहत मुआवजे के लिए उसी किसान को पात्र माना जाएगा जिसकी 50 प्रतिशत फसल कम बरसात के चलते नष्ट हुई है। याचिका के अनुसार सरकार की यह नीति सूखा ग्रस्त किसानों के हित में नहीं है। मुआवजे के लिए 50 प्रतिशत फसल बरबादी की शर्त लगाना उचित नहीं है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई के दौरान सहायक सरकारी वकील मनीष पाबले ने कहा कि मामले को लेकर दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। मुआवजा से जुड़ा मामला सरकार का नीतिगत विषय है। इस मामले में अदालत पहले कई आदेश जारी कर चुकी है। इसलिए इस याचिका पर विचार न किया जाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि हमे सरकार की नीति में खामी नजर नहीं आ रही है।
Created On :   6 May 2019 8:54 PM IST