सचिव से हाईकोर्ट के फैसले में बदलाव की मांग करने वाले वकील पर नाराज हुए न्यायमूर्ति 

Justice got angry at the lawyer who demanded change in the High Courts decision from the Secretary
सचिव से हाईकोर्ट के फैसले में बदलाव की मांग करने वाले वकील पर नाराज हुए न्यायमूर्ति 
अदालत सचिव से हाईकोर्ट के फैसले में बदलाव की मांग करने वाले वकील पर नाराज हुए न्यायमूर्ति 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वे हाईकोर्ट की सभी खंडपीठों के न्यायमूर्तियों के सचिव स्टाफ को निर्देश जारी कर बताए कि वे अधिवक्ताओं व पक्षकारों के साथ कैसा व्यवहार करें। हाईकोर्ट ने एक वकील के अशोभनीय आचरण के चलते पैदा हुई दुर्भाग्यपूर्ण व खेदजनक स्थिति के मद्देनजर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उच्च न्यायालय की नागपुर, औरंगांबाद, गोवा व मुंबई पीठ के सभी सचिव स्टाफ के हित में दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। 

दरअसल एक वकील ने हाईकोर्ट की मुंबई खंडपीठ के न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ की ओर से आदेश जारी करने के बाद आदेश लिखने वाले निजी सचिव से अपने मुवक्किल के पक्ष में वह बदलाव करने की मांग की थी जो जज ने अपने फैसले में नहीं कही थी। किंतु निजी सचिव ने ऐसा करने से मना करते हुए इसकी जानकारी न्यायमूर्ति पटेल को दे दी। वकील के इस बर्ताव को अशोभनीय आचारण की संज्ञा देते हुए खंडपीठ ने कहा कि अधिवक्ता का अपने मुवक्किल के प्रति कर्तव्य होता है, लेकिन वकील का पहले न्यायालय के प्रति दायित्व होता है। क्योंकि वकील न्यायालय का अधिकारी होता है। खंडपीठ ने मामले से जुड़े वकील को कहा कि यदि दोबारा वे इस तरह का बर्ताव करेंगे तो इसका  खामियाजा  उन्हें भुगताना पड़ेगा। 

दरअसल खंडपीठ ने सिद्दी रियल इस्टेट डेवलपर के वकील को कुछ स्वतंत्रता के साथ चार अगस्त 2022 को अपनी याचिका वापस लेने की छूट दी थी। इस दौरान डेवलपर के वकील ने खंडपीठ से कुछ रियायत देने का आग्रह किया था किंतु खंडपीठ ने यह रियायत देने से मना कर दिया था। याचिका को लेकर खुली अदालत में आदेश जारी करने बावजूद वकील ने न्यायमूर्ति पटेल के निजी सचिव से जाकर कहा कि वे इस आदेश में बदलाव कर दें। लेकिन निजी सचिव ने वरिष्ठ अधिकारी से निर्देश लेने के बाद ऐसा करने से मना कर दिया और इसकी जानकारी न्यायमूर्ति पटेल को दे दी। इसके बाद न्यायमूर्ति पटेल ने वकील के इस आचारण को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की। 

जब यह मामला दोबारा खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आया तो याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ से माफी मांगी और अपने कृत्य को लेकर सफाई भी दी। किंतु इससे खिन्न खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी कुशलता से दूसरे पक्षकार को जानकारी दिए बिना आदेश में बदलाव करवाना चाहते थे लेकिन यदि हमारा निजी सचिव आग्रह को स्वीकार करता तो उसकी नौकरी चली जाती।  खंडपीठ ने कहा कि वकील को हमारे सचिव के पास आदेश में बदलाव के आग्रह को लेकर जाना ही नहीं चाहिए था। इसलिए हमारे सचिव ने जो कुछ किया वह सही किया। खंडपीठ ने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल यदि उचित समझे तो वे हाईकोर्ट के सभी पीठों के न्यायमूर्ति के सचिव स्टाफ द्वारा वकीलों व पक्षकारों की ओर से किए जानेवाले आग्रहों पर कैसे विचार करे इस बारे में दिशा-निर्देश जारी करें।  

 

Created On :   16 Aug 2022 7:51 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story