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रेप पीड़िताओं को न्याय दिलाने 4 हजार किलोमीटर पदयात्रा पर निकला एक युवक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आजकल का युवा बिना मोबाइल के रह नहीं सकता। वह हर पल सोशल मीडिया से जुड़ा रहता है, लेकिन सोशल एक्टिविटी से उनका सरोकार न के बराबर होता है। उनकी सारी एक्टिविटीज मोबाइल से शुरू होकर मोबाइल पर ही खत्म हो जाती है। ऐसे माहौल में भी कुछ युवा अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाना नहीं भूलते। शनिवार को संतरानगरी में एक ऐसे युवा ने कदम रखा, जिसने अपना मिशन पूरा करने घर छोड़ दिया। 4000 किलोमीटर पैदल चलकर लोगों को जागरूक करने निकल पड़ा है। घर से निकलते समय परिजनों को जानकारी तक नहीं दी। नाशिक निवासी एमबीए और बीबीए तक शिक्षा प्राप्त कर चुके 29 साल का युवा विनायक निंबालकर कन्याकुमारी से करगिल तक पैदल यात्रा कर रहा है। वह आम जनता, प्रशासन और सरकार को दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने, आरोपियों को सजा दिलाने और महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए कानून बनाने जागरूकता का उद्देश्य लेकर चल रहा है।
जहां रात, वहीं मुकाम
विनायक निंबालकर ने बताया कि वह 4000 किलोमीटर पैदल चलेगा। अब तक 1700 किलोमीटर तक चल चुका है। 26 सितंबर को वह ट्रेन से कन्याकुमारी गया था। 27 सिंतबर से वह पैदल निकला है। करगिल तक पैदल चलेगा। दिन भर में वह 10 से 12 घंटे चलता है। इस दौरान उसके संपर्क में जो भी लोग आ रहे हैं, उन्हें दो मिनट का समय देकर जागरूक कर रहा है। शाम को वह किसी गांव, शहर में ठहर जाता है। अगले दिन सुबह 7 बजे फिर आगे निकल पड़ता है। गूगल मैप के सहारे वह आगे बढ़ रहा है। अब तक उसने 50 से अधिक स्थानों पर रुककर रात बिताई है। कहीं मंदिर, कहीं धर्मशाला, कहीं सरकारी परिसर में रुक जाता है। भोजन व रहने की व्यवस्था खुद के खर्चे से ही करता है। शुक्रवार को वह बुटीबोरी में ठहरा था। शनिवार की सुबह 7 बजे विनायक नागपुर पहुंचा। रविवार की सुबह वह आगे की राह चल पड़ेगा। उसके पास कोई वाहन नहीं है। कोई साथ नहीं है। अब तक वह 47 दिन चल चुका है। आगे 90 दिन और चलना पड़ेगा, तब उसका उद्देश्य पूरा होगा।
परिजनों का विरोध, इसलिए नहीं बताया
विनायक ने बताया कि इस मिशन के बारे में परिजनों को कई बार बताया था, लेकिन हर बार विरोध होता रहा है। परिवार में पत्नी, मां, नाना, नानी और मौसी हैं। इसके अलावा रिश्तेदार व मित्र परिवार हैं। विनायक की पत्नी एक निजी कंपनी में कार्यरत है। विनायक स्वयं एक स्टेज आर्टिस्ट है। विनायक जब घर से निकला तो केवल पत्नी को बताया था। पत्नी ने कहा था कि मिशन पूरा करके ही लौटना, लेकिन अन्य लोगों को पता नहीं था। इसलिए सब परेशान थे कि आखिर वह गया कहां? अंतत: 15 दिन बाद मोबाइल पर परिजनों और अन्य परिचितों व मित्रों को बताया कि वह अपने मिशन पर निकल चुका है। विनायक का उद्देश्य जानकर पहले तो सब ताज्जुब करने लगे थे, लेकिन बाद में सबको लगा कि यह असामान्य और अपने आप में अनोखा मिशन है। वह रोज परिजनों से बात कर सारी जानकारी देता है।
10000 से अधिक लोगों तक पहुंचाया संदेश
पैदल चलते समय छोटे-बड़े 100 से अधिक गांवों व शहरों से गुजर चुका है। नागपुर पहुंचने से कुछ दिन पहले वह तेलंगाना के हैदराबाद में पहुंचा था। इस दौरान वह 10000 से अधिक लोगों को जागरूकता का संदेश दे चुका है। विनायक का यह मानना है कि देश में कानून व्यवस्था है, लेकिन उसका दुरुपयोग करने वालों की कमी नहीं है। किसी महिला के साथ दुष्कर्म होने पर उसे नारकीय जीवन गुजारना पड़ता है। आरोपियों को नाममात्र सजा होती है। कई बार सजा भी नहीं होती। ऐसी पीड़ितों को न्याय दिलाने, आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने, पीड़ितों का पुनर्वसन करने, महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए कानून बनाने के लिए लोगों को जागरूक करने का उद्देश्य लेकर विनायक पैदल चल रहा है।
Created On :   14 Nov 2021 3:57 PM IST