- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- नागपुर को राजधानी बनाने की जरूरत...
नागपुर को राजधानी बनाने की जरूरत नहीं, वैसे भी सरकार नागपुर से कंट्रोल होती है : सिब्बल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि नागपुर को देश की राजधानी बनाने की जरूरत नहीं है, वैसे भी देश की सरकार नागपुर से कंट्रोल हो रही है। सरकार की अर्थ नीति पर प्रहार करते हुए दावा किया कि यूपीए के कार्यकाल में देश का विकास दर (जीडीपी) ज्यादा था। सिब्बल आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस (एआईपीसी) नागपुर इकाई की आेर से प्रेस क्लब में आयोजित "ए पैनल डिस्कशन आन कंफ्लिक्ट आफ डेमोक्रेसी" में बोल रहे थे। राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया।
एआईपीसी के प्रदेश अध्यक्ष संजय झा ने श्री सिब्बल व श्री अणे से सवाल किए
श्री सिब्बल ने कहा कि सरकार इकोनॉमिक पॉलिसी पर गंभीर नहीं है। एनडीए सरकार की अपेक्षा यूपीए के शासनकाल में देश का विकास दर (जीडीपी) ज्यादा था। माब लिचिंग को सरकार का समर्थन है। माब लिचिंग पर सुप्रीम कोर्ट को सख्त होना पड़ा। देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। सारे अधिकार केंद्रीकृत हो गए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमआे) ही पूरी सरकार चला रहा है। सरकारी नीतियों का विरोध करने वालों को देशद्रोही कहा जाता है। मीडिया आैद्योगिक घरानों के हाथ में है। मीडिया सही तरीके से काम नहीं कर रहा। सोशल मीडिया हिंसा, हमले व फेक न्यूज का नया हथियार बन गया है। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज रोकना संभव नहीं है।
सिब्बल ने कहा कि 2014 के बाद नेचर आफ डेमोक्रेसी में परिवर्तन आया है। शिक्षा का नेचर भी बदल गया है। सरकार अपने हिसाब से टेक्स्टबुक तय कर रही है। शिक्षा जैसी संस्थान पर सरकारी कब्जा हो गया है। आधार से निजी डाटा लीक हो रहा है। आधार एक खतरनाक हथियार बन गया है। निजी जिंदगी प्रभावित हो सकती है। लोकसभा के साथ ही देश भर में विधानसभा चुनाव कराना कानूनन संभव नहीं है। सीएजी पालिसी तय नहीं करती। एजेंसियां जनता की सेवा करने की बजाय सरकारी सेवा में लग गई हैं। पैसा कमाना ही सरकार का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेेशालय, इंकम टैक्स, चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने एनआरसी के मुद्दे पर कहा कि बंग्लादेश से देश में अवैध रूप से घुसने का मुद्दा कानूनी है। 1971 में जो आए आैर जिनके पास 16 दस्तावेज हैं, वे यहां के नागरिक माने गए हैं। उन्होंने कटाक्ष किया कि एनआरसी की सूची में पति वैध तो पत्नी अवैध हो गई है। भाई वैध व बहन अवैध हो गई है। मानवता से काम होना चाहिए। सरकार मानवी मुद्दों का भी राजनीतिक मुद्दा बना रही है। पहली बार भारत के इतिहास में संगठन व सरकार में फर्क नहीं है। पार्टी (संगठन) व स्टेट (सरकार) में अंतर नहीं है। न्याय व्यवस्था पर भी चोट हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों को प्रेस कांफरेंस करनी पड़ी लोकपाल व लाेकायुक्त के लिए आंदोलन करने वाले चुप बैठे है। सरकार भी लोकपाल नहीं चाहती। उन्होंने भाजपा पर तंज कसा कि एक राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए कोर्ट को आदेश देना पड़ा था। इस अवसर पर एआईपीसी के मैथ्यु एंथोनी, सीए अश्विन अग्रवाल, एड. अरुण अग्रवाल, विधायक सुनील केदार, पार्षद प्रफुल्ल गुडधे पाटील व कांग्रेस के कई पदाधिकारी उपस्थित थे।
जनता की अदालत में लड़ेंगे राफेल मुद्दा
कार्यक्रम के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए श्री सिब्बल ने आरोप लगाया कि राफेल सौदा देश का सबसे बड़ा घोटाला है। पार्टी इस मुद्दे को जनता की अदालत में लड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस घोटाले को जनता के बीच ले जाएगी। देश भर में जनजागृति की जाएगी। राफेल सौदे का सच जनता को बताया जाएगा। सरकार जवाब देने या जांच करने से बच रही है।
अणे ने भी की सरकार की आलोचना
"ए पैनल डिस्कशन आन कंफ्लिक्ट आफ डेमोक्रेसी" में शामिल पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने भी कई मुद्दों पर सरकार की आलोचना की। अघोषित आपातकाल, सभी अधिकार केंद्रीकृत होने, पार्टी व संगठन में फरक नहीं होने, मीडिया की भूमिका पर वे सिब्बल के विचारों से सहमत थे। यूपीए के शासनकाल में विकास दर ज्यादा होने की बात उन्होंने भी मानी। आधार से डाटा लीक मामले पर सरकार की आलोचना की। लोकपाल की नियुक्ति अभी तक नहीं होने व माब लिचिंग की बढ़ती घटनाआें पर सरकार की आलोचना की।
Created On :   18 Aug 2018 1:50 PM GMT