आत्मीय समाधान और आनंद ही जीवन का लक्ष्य रखें- वीरसागर महाराज

Keep soulful solution and happiness as the goal of life: Veersagar Maharaj
आत्मीय समाधान और आनंद ही जीवन का लक्ष्य रखें- वीरसागर महाराज
वाशिम आत्मीय समाधान और आनंद ही जीवन का लक्ष्य रखें- वीरसागर महाराज

डिजिटल डेस्क, वाशिम. आज पाश्चिमात्य संस्कृति हावी होती जा रही है और छोटे गांवों को भुलाकर लोगों का रुझान बड़े शहराें की ओर बढ़ रहा है । आज सर्वाधिक युवापिढी द्वारा शिक्षा को पैसों के लिए महत्व दिए जाने का चित्र दिखाई दे रहा है । पैकेज अधिकाधिक कैसे मिलेंगा, इसओर वे आकर्षित हो रहे है । वास्तविकता में पैसा मिडीयम है लेकिन अनेकों ने पैसों को ही सोना माना है । शिक्षा का सदुपयोग होना चाहिए । शिक्षा को कमाई का साधन ना बनाने की बात निर्यापक श्रमणमुनीश्री विरसागर महाराज ने कहते हुए आत्मीक समाधान, सुख, शांति और आनंद को ही जीवन का लक्ष्य रखने का आव्हान किया । स्थानीय पुरानी नगर परिषद के समीपस्थ महावीर भवन मंे मंगलवार 17 जनवरी को संपन्न हुए प्रवचन में उन्होंने उपरोक्त प्रतिपादन किया । इस अवसर पर मंच पर मुनीश्री विशालसागर महाराज, मुनीश्री धवलसागर महाराज, मुनीश्री उत्कृष्टसागर महाराज उपस्थित थे । निर्यापक श्रमणमुनीश्री विरसागर महाराज ने कहा की चिंता करने की बजाए चिंतन करना चाहिए । गुरु हमारे उज्वल भविष्य की बुनियाद है । भगवंत और गुरु के समक्ष हमेशा रहें, प्रत्येक का प्रतिदिन मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जाना ज़रुरी है, अन्यथा मंदिर सुरक्षित नहीं रहेंगे । आज लोग मंदिर से दूर जा रहे है और घरों में मंिदर होने का कारण बताते है । प्रत्येक व्यक्ति साधुसंत तो नहीं बन सकता लेकिन सदगृहस्थ तो बन ही सकता है । अच्छे आचरण से व्यक्ति अच्छे कार्य कर सकता है । विवाह शब्द का अर्थ पत्नि को पति के प्रति तथा पति को पत्नि के प्रति हमेशा एकनिष्ठ रहना, अपनी धर्म पत्नि के अलावा प्रत्येक महिला के प्रति मां, बहन, बेटी की भावना रखना । इसी प्रकार महिला को भी अपने पति के अलावा अन्य पुरुषाें को लेकर पिता, भाई, पुत्र का दृष्टिकोन रखना चाहिए, इसी को ब्रम्हचर्य अनुव्रत कहते है और यही हमारी भारतीय संस्कृति है । विदेश में जिस प्रकार कपडे बदलते है उसी प्रकार पति-पत्नि पार्टनर बदलते है, यह भोग संस्कृति है । भारतीय संस्कृति में मर्यादा, धार्मिक संस्कार को महत्व है । आज लड़कियों कों हम बड़े शहरों मंे शिक्षा के लिए भेजते है लेकिन उसके बाद अनेक लड़कियाँ अपने गांव की ओर नहीं आती, आंतरजातिय विवाह करती है, यह समस्या बढ़ रही है । इस कारण माता-पिता को लड़कियों को अच्छे संस्कार और बंधन समझाकर बताना ज़रुरी है । जब हम अपने गांव में लड़कियों के विवाह को लेकर मान्यता देंगे उस समय धर्म और संस्कृति बरकरार रह पाएंगी । बड़े शहरों मंे जीवन नहीं, सही जीवन गांव में ही है  । कोरोना काल में बड़े शहरों में रहनेवाले जान बचाने के लिए अपने गांव में ही आए । आखिर गांव ने ही उन्हें सहारा दिया, यह वास्तविकता है । पशु और मनुष्य में भारी अंतर है । यदि मनुष्य में पशुत्व की भावना निर्माण होती है तो समस्या की मर्यादा और बंधन टूटने का ड़र है । इस कारण प्रत्येक से अच्छा और शुध्द आचरण रखने का आव्हान भी उन्होंने किया । इस अवसर पर तुरण क्रांति मंच के जिलाध्यक्ष निलेश सोमाणी ने श्रीफल अर्पित कर आशिर्वाद लिया ।

Created On :   19 Jan 2023 5:53 PM IST

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