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जामुन से शहद तैयार करेगा खादी ग्रामोद्योग विभाग, इस गांव का हुआ चयन
डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। जामुन उत्पादन के लिए मशहूर पालघर के बहाडोली गांव की पहचान जल्द ही बदलने वाली है। महाराष्ट्र राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल की ओर से बहाडोली गांव को शहद के गांव रूप में विकसित किया जाएगा। जिसके बाद बहाडोली गांव में जामुन से शहद तैयार होगा। जामुन से बना शहद डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
महाराष्ट्र राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशु सिन्हा ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि पालघर में बहाडोली गांव जामुन का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। बहाडोली गांव में जामुन के करीब 8 हजार पेड़ हैं। इसलिए हम बहाडोली को शहद के गांव के रूप में विकसित करना चाहते हैं। इसके लिए बहाडोली गांव में मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस गांव के लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए बी-बॉक्स (पेटी) उपलब्ध कराए जाएंगे। बहाडोली गांव में तैयार की जाने वाली शहद में जामुन के तत्व होंगे।
इस शहद का इस्तेमाल लोग दवा के रूप में भी कर सकेंगे। सिन्हा ने कहा कि मानसून खत्म होने के बाद बहाडोली गांव में सितंबर महीने में जनजागृति सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। जिसमें गांव के लोगों को शहद के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके बाद ग्राम पंचायत को शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के बारे में प्रस्ताव पारित करना होगा। पालघर के जिलाधिकारी की ओर से राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद बहाडोली को शहद के गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। सिन्हा ने कहा कि कोल्हापुर के पाटगांव और सिंधुदुर्ग के अंबोली के एक-एक गांव को शहद का गांव बनाने के लिए चिन्हित किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में फिलहाल अमरावती के चिखलदरा तहसील के आमझरी गांव और सातारा के महाबलेश्वर तहसील के मांघर गांव को शहद का गांव के रूप में स्थापित किया जा चुका है।
यवतमाल में गोडंबी के उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
सिन्हा ने कहा कि यवतमाल में गोडंबी (बिब्बा) के उत्पादन को बढ़ावा देने और बाजार उपलब्ध कराने की योजना है। गोडंबी के बीज से तेल तैयार होता है। इस तेल का चिकित्सीय उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि महिलाएं हाथ से गोडंबी को फोड़कर बीज निकालती हैं। इससे लगातार काम करने से महिलाओं के हाथों में चोट भी आती हैं। इसलिए गोडंबी को फोड़ने के लिए कोई उपकरण विकसित करने के बारे में विचार किया जा रहा है। इससे महिलाओं को गोडंबी तोड़ने में सहुलियत होगी। सिन्हा ने कहा कि वाशिम के लगभग 40 गांवों में लाख का उत्पादन होता है। इसलिए यहां पर लाख के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनिंग और प्रोसेसिंग की सुविधा प्रदान करने की योजना है।
Created On :   19 Aug 2022 9:46 PM IST