धान में खैरा रोग का कहर, राख बन रही बालियां - किसानों के अरमानों पर पानी फिरा

Khair disease havoc in paddy, earrings becoming ashes - water falls on farmers aspirations
धान में खैरा रोग का कहर, राख बन रही बालियां - किसानों के अरमानों पर पानी फिरा
धान में खैरा रोग का कहर, राख बन रही बालियां - किसानों के अरमानों पर पानी फिरा

डिजिटल डेस्क कटनी ।अच्छी बारिश से धान की लहलहाती फसल देखकर खुश हो रहे किसानों के अरमानों पर खैरा रोग पानी फेर रहा है। लगातार बारिश एवं आसमान में बादल छाए रहने से धान में फफूंद लगने से बालियां राख बन रही हैं। जबकि अतिवृष्टि से उड़द की फसल चौपट हो चुकी है। कृषि वैज्ञानिकों ने भी धान की फसल में लगे रोग को कंट्रोल के बाहर माना है। वैज्ञानिक इसे फाल्स स्मट रोग मान रहे हैं तो किसानों के अनुसार खैरा रोग है।  इस रोग से जिले में एक लाख 72 हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल के बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है।
सैकड़ों एकड़ की फसल पर खतरा
बहोरीबंद तहसील के ग्राम कजरवारा निवासी मनीष पाठक, राजेन्द्र मिश्रा, प्रदीप विश्वकर्मा, रवि यादव आदि के अनुसार कजरवारा सहित कूडऩ, पटीराजा, नीमखेड़ा, मोहनिया, सहित आसपास के गांवों की सैकड़ों एकड़ में खड़ी धान की फसल में खैरा रोग लग रहा है। जिससे बालियां में फफूंद लग रही और पत्ते झुलस रहे हैं। रामेश्वर प्रसाद बाजपेयी के अनुसार पकी खड़ी धान के घर लौटने की उम्मीद भी समाप्त हो गई है। किसानों ने जिला प्रशासन ने खैरा रोग से बर्बाद हो रही फसलों का सर्वे कराने की मांग की है।
हाथ लगाते ही  राख बन रही
किसानों के अनुसार इन दिनों खेतों में धान की फसल पकी खड़ी है। कटाई के लिए मौसम खुलने का इंतजार किया जा रहा है पर धान की बालियों में सफेद फफूंद ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फफूंद के कारण बालियां सिकुड़ रही हैं और हाथ लगाते ही राख की तरह चूर्ण बन रही हैं। कृषि वैज्ञानिकों से चर्चा करने पर वे भी फसलों को बचाने का कोई उपाय नहीं बता पा रहे हैं।
बेअसर साबित हो रही दवाएं
अब चूंकि कटाई का समय है, इसलिए दवा छिड़काव का भी कोई औचित्य नहीं रह जाता है, फिर भी किसान किसी तरह फसल को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। मढिय़ा बडख़ेरा के सोनलाल यादव, रामभान गड़ारी के अनुसार धान में लगी रोग पर कीटनाशक दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है। तीन दिन से मौसम खराब होने से दवा का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने माना बारिश का असर
धान में खैरा रोग एवं फफूंद को वैज्ञानिकों ने अधिक बारिश का असर माना है। कृषि विज्ञान केन्द्र पिपरौंध के प्रभारी डॉ.ए.एस.तोमर कहते हैं कि बीजोपचार नहीं होने से फसलों में रोग लगते हैं। धान के खेतों में पानी भरा होने एवं मौसम में नमी अधिक रहने के कारण खैरा रोग व फफूंद लग रही है। मौसम साफ होने पर ही कीटनाशकों का असर होगा लेकिन वह भी उतना प्रभावी नहीं रहेगा, क्योंकि धान की फसल पकने की स्थिति में है।
 

Created On :   22 Oct 2019 8:28 AM GMT

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