खासदार महोत्सव : घोड़े, तोप और आतिशबाजी, छोटी रानी की भावविभोर करती कहानी

Khasdar Mahotsav: horses and fireworks, stirring story of little queen
खासदार महोत्सव : घोड़े, तोप और आतिशबाजी, छोटी रानी की भावविभोर करती कहानी
खासदार महोत्सव : घोड़े, तोप और आतिशबाजी, छोटी रानी की भावविभोर करती कहानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विवाह के अवसर पर पटाखों की आतिशबाजी, रणभूमि पर पीठ पर बच्चे को बांधकर घोड़े पर युद्ध के लिए तैयार हुई रानी लक्ष्मीबाई और ताेप की गर्जना ईश्वर देशमुख महाविद्यालय परिसर में गूंज उठी। रानी लक्ष्मीबाई की भावविभोर कर देने वाली कहानी का मंगलवार को शहरवासियों ने अनुभव लिया। जैसे ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई घोड़े पर सवार पर होकर मैदान में पहुंची, सभी की आंखें फटी की फटी रह गईं। साजो-श्रृंगार और तलवार के साथ आई रानी लक्ष्मीबाई ने शहरवासियों का अभिवादन किया। ‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी" यह कविता आज भी रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की गाथा बयां करती है। ऐसे वक्त में जब एक-एक कर राजा अंग्रेजों के सामने घुटने टेक रहे थे, तब रानी लक्ष्मीबाई हीं थी जिन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। रानी लक्ष्मीबाई को देखकर सभी को रोंगटे खड़े हो गए। सहाय्य फाउंडेशन प्रस्तुत रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित पहली महानाट्य -"झांसी की रानी-रणरागिणी का मंचन खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में चौथे दिन किया गया।

शादी के बाद दिया रानी लक्ष्मीबाई नाम

साल 1858 में जून का 17वां दिन था, जब खूब लड़ी मर्दानी, अपनी मातृभूमि के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटी. ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी" अदम्य साहस के साथ बोला गया यह वाक्य आज भी सभी के कानों में गूंजता है। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्हें मणिकर्णिका नाम दिया गया और घर में मनु कहकर बुलाया गया। 4 बरस की थीं, जब मां गुजर गईं, पिता मोरोपंत तांबे बिठूर जिले के पेशवा के यहां काम करते थे और पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पाला और प्यार से नाम दिया छबीली। मणिकर्णिका का ब्याह झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवलकर से हुआ और विवाहोपरंात उन्हें नाम दिया गया रानी लक्ष्मीबाई। बेटे को जन्म दिया, लेकिन 4 माह का होते ही उसका निधन हो गया। राजा गंगाधर ने अपने चचेरे भाई का बच्चा गोद लिया और उसे दामोदार राव नाम दिया गया। मनु ने बचपन में ही शस्त्र और शास्त्र, दोनों की ही शिक्षा ली। इस दौरान लोग उन्हें प्यार से ‘छबीली’ के नाम से भी पुकारने लगे।

Created On :   3 Dec 2019 9:54 PM IST

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