नाट्य मंचन : दर्शकों को रास आई महारथी कर्ण की यशोगाथा, खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में बिखरे रंग

Khasdar Mahotsav : Yashogatha of Maharathi Karna appeals to audience
नाट्य मंचन : दर्शकों को रास आई महारथी कर्ण की यशोगाथा, खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में बिखरे रंग
नाट्य मंचन : दर्शकों को रास आई महारथी कर्ण की यशोगाथा, खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में बिखरे रंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दुर्वासा ऋषि के वरदान से कुंती ने सूर्य का आह्वान कर कौमार्य में ही कर्ण को जन्म दिया था। लोक-लाज भय से कुंती ने उसे नदी में बहा दिया। बाद में गंगा किनारे हस्तिनापुर के सारथी अधीरथ को कर्ण मिला और वह उस बालक को अपने घर ले गया। कर्ण का अधीरथ की पत्नी राधा ने पालन-पोषण किया, इसलिए कर्ण को राधेय भी कहते हैं। कुंती-सूर्य पुत्र कर्ण को महाभारत का एक महत्वपूर्ण योद्धा माना जाता है। कर्ण के धर्मपिता तो पांडु थे, लेकिन पालक पिता अधीरथ और पालक माता राधा थी। कर्ण महा दानवीर के रूप में प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपना कवच-कुण्डल तक दान में दे दिया। अंतिम समय में सोने का दांत भी दे दिया था। खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में -"महाराथी कर्ण" भावनाट्य का मंचन किया गया। संस्कार भारती व इतिश्री आर्टस के संयुक्त विद्यामान में ईश्वर देशमुख शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय मैदान में गुरुवार को आयोजित -"महाराथी कर्ण" भावनाट्य की संकल्पना दीपाली घोंगे की थी। नाटक की लेखिता नंदिता साहू हैं।

Created On :   12 Dec 2019 9:32 PM IST

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