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जिले में लगातार की जा रही कार्रवाई के बाद भी जारी है खटारा बसों का संचालन
डिजिटल डेस्क शहडोल । लगातार हो रही कार्रवाई के बाद भी जिले में खटारा बसों का संचालन हो रहा है। हादसे के बाद शुरू हुई बसों की चेकिंग का विरोध बस ऑपरेटरों द्वारा 26 और 27 फरवरी को हड़ताल की चेतावनी के रूप में सामने आ रही है। हालांकि शहडोल में स्थानीय एसोसिएशन द्वारा ऐसी हड़ताल के आह्वान पर अमल किए जाने के बारे में पूरी तरह अनभिज्ञता जताई जा रही है, लेकिन इससे कहीं न कहीं कहा जा सकता है कि बस ऑपरेटर असुरक्षित सफर के समर्थन में हैं। बड़े हादसे के बाद किराया वृद्धि, रूट पर फ्रिंक्वेंसी तय नहीं होने जैसे बिंदुओं को मुद्दा बनाया जा रहा है।
हादसे के बाद जांच अभियान शुरु होने से लेकर एक दो वर्ष में करीब 30 बसों पर कार्रवाई हो चुकी है। परिवहन विभाग के अनुसार 10 बसों की फिटनेस निरस्त की गई है। जिन्हें अपने कमियां सुधारने के बाद ही दोबारा फिटनेस दिया जाएगा। इसके अलावा 15 ऐसी बसें हैं जिनके पंजीयन निरस्त किए जा चुके हैं। विभाग का दावा है कि 15 वर्ष से पुरानी कोई भी बस संचालित नहीं है। 2-3 होंगी भी तो उन्होंने कोर्ट से आर्डर लिया होगा।
30 फीसदी से अधिक ड्राइवर व कंडक्टर अभी भी वर्दी में नहीं
जिला प्रशासन व परिवहन विभाग की सख्ती के बाद बस संचालकों द्वारा कुछ सुधार तो किया गया है लेकिन बाकी व्यवस्था वहीं पुराने ढर्रे पर चल रही है। रियलटी चेक के दौरान बुधवार को बस स्टैण्ड में 30 प्रतिशत चालक व कंडेक्टर वर्दी में नहीं मिले। इमरजेंसी द्वार के पास लगी सीटों को निकाल दिया गया है, लेकिन कुछ बसों में कांच आदि फूटे हुए मिले। फस्र्ट एड बॉक्स, फायर सेफ्टी सभी बसों में नहीं है। किराया सूची अभी तक किसी बस में नहीं लगाई गई है। बस क्रमांक एमपी 17 पी 1655, एमपी 18 पी 1101 तथा एमपी 18 पी 0927 बाहर से ही कंडल हालत में खड़ी मिलीं, जिनमे सवारियां ढोई जा रही हैं। इन बसों में बैक लाइट टूटी-फूटी मिलीं। जालियां भी लगी हैं। जबकि पिछले हिस्से में जालियां निकालने के निर्देश हैं।
जांच के नाम पर न करें परेशान
बस आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महंत गौतम का कहना है कि यात्रियों का सुरक्षित सफर बस संचालकों की पहली जिम्मेदारी है। नियमों का पालन हो भी रहा है, लेकिन जांच के नाम पर अनावश्यक परेशान करना बंद होना चाहिए। मुख्यालय के बाद हर थाना व जिला स्तर पर जांच के नाम पर काफी देर तक बसों को रोका जाता है, जिससे टाइमिंग बिगड़ रही है। उन्होंने बताया कि डीजल के नाम लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन किराया 2018 से निर्धारित नहीं किया गया। निर्देश के बाद बस संचालकों ने व्यवस्था बना ली है, जो बचे हैं उन्हें कुछ दिन में पूरा कर लिया जाएगा। जहां तक हड़ताल की बात है तो अभी तक प्रदेश स्तर से संघ का अधिकृत निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।
इन रूटों पर दौड़ती हैं बसें
जिले से होकर 300 बसों का संचालन होता है। परिवहन विभाग द्वारा शहडोल से रीवा, ब्यौहारी, सीधी, अमरकंटक, अनूपपुर, उमरिया तथा शहडोल से कटनी रूट पर ही ज्यादातर परमिट जारी किए गए हैं। इन रूटों पर करीब 200 बसें चलती हैं। बाकी स्कूल व अन्य प्रकार के परमिट जैसे लगेज व टूरिस्ट परमिट की हैं। परमिट के अलावा कई ऐसे रूट हैं जहां धड़ल्ले से बसों का संचालन हो रहा है।
इनका कहना है
जांच व कार्रवाई निरंतर चल रही है। कंडम बसों को हटा दिया गया है। 15 साल से पुरानी कोई बस नहीं चल रही हैं। फिर भी मामला सामने आने पर कार्रवाई करेंगे। हड़ताल की स्थिति में यात्रियों के लिए अभी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।
आशुतोष भदौरिया, आरटीओ शहडोल
Created On :   25 Feb 2021 4:40 PM IST