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14 अक्टूबर तक हो जाएगी वकील की नियुक्ति
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह ख्वाजा युनुस की हिरासत में मौत से जुड़े मुकदमे की पैरवी के लिए 14 अक्टूबर 2021 तक नए विशेष सरकारी वकील कि नियुक्ति नहीं करेगी। बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे सहित चार पुलिसकर्मी इस मामले में आरोपी है। हाईकोर्ट में युनुस की मां आसिया बेगम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से इस मामले की पैरवी के लिए विशेष सरकारी वकील के रुप में नियुक्त किए गए अधिवक्ता धीरज मिरजकर को हटाने के निर्णय को चुनौती दी गई है। याचिका के मुताबिक साल 2018 में मिरजकर को हटाने का यह निर्णय किया गया था।
बुधवार को न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील संगीता शिंदे ने कहा कि राज्य सरकार 14 अक्टूबर 2021 तक इस मामले की पैरवी के लिए नए विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार ने जुलाई 2018 में हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था कि इस याचिका के प्रलंबित रहते नए विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति नहीं की जाएगी। हालांकि मंगलवार को अभियोजन पक्ष की ओर से निचली अदालत को बताया गया था कि नए विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। देसाई ने कहा कि हमारा आग्रह है कि जब तक इस याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है तब तक सरकार को विशेष सरकारी वकील के रुप में किसी को नियुक्त करने से रोका जाए।
इस पर खंडपीठ ने सरकारी वकील को इस मामले में राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी से निर्देश लेने को कहा। खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले में सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए अवसर दे रहे हैं। तब तक नियुक्ति की दिशा में कदम न बढाए जाए। इस पर सरकारी वकील शिंदे ने कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर राज्य के महाधिवक्ता व राज्य के विधि विभाग से निर्देश लिया है कि 14 अक्टूबर तक युनुस मामले की पैरवी के लिए नए विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति की दिशा में कदम नहीं बढाए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान देसाई ने कहा कि वर्ष 2015 में अधिवक्ता मिरजकर की नियुक्ति की युनुस मामले की पैरवी के लिए विशेष सरकारी वकील के रुप में नियुक्ति की गई थी। लेकिन अचानक साल 2018 में मिरजकर की नियुक्ति रद्द कर दी गई।
इस लिए हुआ मिरजकर को हटाने का फैसला
याचिका में आसिया बेगम ने दावा किया है कि मिरजकर को हटाने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने एक आवेदन दायर कर सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी प्रफुल्ल भोसले व अन्य तीन पुलिसकर्मियों को समन जारी करने का आग्रह किया था। ताकि इनके खिलाफ भी हत्या के आरोप का मुकदमा चलाया जा सके। मिरजकर ने यह आवेदन एक गवाह के बयान के बाद किया था। साल 2008 में युनुस की पुलिस हिरासत में मौत का मामला सामने आया था। घाटकोपर बम धमाके के मामले में पुलिस ने युनुस को गिरफ्तार किया था।
Created On :   22 Sept 2021 9:26 PM IST