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अवैध संबंधों की वजह से सुनियोजित तरीके की थी हत्या - टीकमगढ़ मयंक खरे हत्याकाण्ड के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज
डिजिटल डेस्क जबलपुर। अवैध संबंधों की वजह से टीकमगढ़ जिले में सुनियोजित तरीके से की गई मंयक खरे की हत्या के आरोपी की जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। जस्टिस विष्णु प्रताप सिंह चौहान की एकलपीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस अंधी हत्या को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में बारीकी से सबूत जुटाए हैं और यदि आरोपी इशराल खान को जमानत का लाभ दिया गया, तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
अभियोजन के अनुसार टीकमगढ़ के चकरा तिराहे के पास रहने वाली एक नाबालिग लड़की से पहले दोस्ती और फिर अवैध संबंध बनाने की वजह से 25 सितंबर 2019 को मयंक खरे की हत्या कर दी गई थी। हत्या करने से पहले मयंक को शराब में नींद की गोलियां मिलाकर दी गईं थीं। इसके बाद उसकी लाश को धसान नदी में फेंक दिया गया था। इस अंधी हत्याकाण्ड का खुलासा होने पर आरोपी ने नाबालिग लड़की के रिश्तेदार इरशाल व अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। मामले में जमानत का लाभ पाने यह अर्जी दायर की गई थी, जो सुनवाई के बाद अदालत ने खारिज कर दी। शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता देवेन्द्र गंगराडे ने पैरवी की।
कारतूसों के सौदागर को पांचवी जमानत अर्जी भी खारिज
भोपाल एसटीएफ द्वारा कारतूसों के साथ पकड़े गए भिण्ड के मुकेश शर्मा की पांचवीं जमानत अर्जी भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। जस्टिस वीपीएस चौहान ने आरोपी पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत का लाभ देने से इंकार कर दिया। भिण्ड जिले की गोरमी तहसील के ग्राम बरकापुरा में रहने वाले मुकेश शर्मा को भोपाल एसटीएफ ने 314 बोर बंदूक के 350 कारतूसों और 32 बोर पिस्टल के 50 कारतूसों के साथ वर्ष 2018 में गिरफ्तार किया था। इन कारतूसों के जरिए समाज में अशांति फैलाए जाने की आशंका थी। 23 जनवरी 2019 को पहली जमानत अर्जी खारिज होने के बाद से यह पांचवी बार अर्जी दायर करके कहा गया कि आरोपी पिछले डेढ़ साल से हिरासत में है, लिहाजा उसे जमानत का लाभ दिया जाए। शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता देवेन्द्र गंगराडे ने जमानत अर्जी का विरोध किया।
अध्यक्ष व 4 सदस्यों की बर्खास्तगी पर यथास्थिति
कमलनाथ सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों में नियुक्त किए गए एक अध्यक्ष और चार सदस्यों की बर्खास्तगी पर जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश देकर सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने कहा है। ये याचिकाएं अजजा आयोग के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी, अल्पसंख्यक आयोग में उज्जैन के नूरी खान, अजजा आयोग में मण्डला के गुलाई उईके व बालाघाट के हीरासन उईके और महिला आयोग में भोपाल की नीना सिंह की ओर से दायर की गईं थीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा।
Created On :   22 May 2020 2:32 PM IST