जानिए, नागपुर के हरिहर मंदिर में कैसे आईं दरारें, किस तरह कटने से बच गए 38 पेड़ ?

Know, how cracks came in the wall of Harihar temple at Nagpur
जानिए, नागपुर के हरिहर मंदिर में कैसे आईं दरारें, किस तरह कटने से बच गए 38 पेड़ ?
जानिए, नागपुर के हरिहर मंदिर में कैसे आईं दरारें, किस तरह कटने से बच गए 38 पेड़ ?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भंडारा रोड, लकड़गंज में 55 वर्ष पूर्व स्थापित हरिहर मंदिर के अस्तित्व पर अब खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। मंदिर की इमारत में जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। मंदिर कमेटी के मुताबिक दानागंज मॉल के निर्माण कार्य के चलते मंदिर की पश्चिमी दीवारों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। नींव को भी क्षति पहुंचने की आशंका है। दानागंज मॉल तैयार करने के लिए मंदिर से कुछ ही फासले पर गहरा गड्ढा खोदा गया है। तकरीबन 40 फीट गहरे इस गड्ढे के कारण आसपास की इमारतों में दरारें पड़ गई हैं। मंदिर के पश्चिमी हिस्से की दीवारों में पड़ी दरारें दिन-ब-दिन और गहरी व चौड़ी होती जा रही हैं। पिछले दो वर्षों में मंदिर प्रबंधन द्वारा मंदिर की दीवारों की कई बार मरम्मत की गई तथा दरारों को पाटने का प्रयास किया गया। लेकिन मरम्मत के बाद दीवार के दूसरे हिस्सों में दरारें आने आने लगी हैं।

गड्ढा खोदकर अधूरा छोड़ दिया निर्माण कार्य

दानागंज मॉल का निर्माण कार्य पिछले तकरीबन 13 वर्षों से शुरू है। सन 2006 में नागपुर महानगर पालिका द्वारा शहर के चुनिंदा इलाकों में मॉल तैयार करने की याेजना बनाई गई थी। इसी याेजना के तहत पूर्व नागपुर स्थित हरिहर मंदिर के पास 16785 वर्ग मीटर जमीन पर दानागंज शापिंग मॉल बनाने का ठेका यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स लि. मुंबई को दिया गया था। इस कंपनी द्वारा मॉल बनाने के लिए हरिहर मंदिर से सटी जमीन पर तकरीबन 40 फीट गहारा गड्ढा खोदा गया। यहां अंडरग्राउंड पार्किंग तैयार की जानी थी। मुंबई की ठेका कंपनी ने निर्माण कार्य शुरू किया लेकिन आर्थिक व तकनीकी अड़चनों के चलते तय समय पर मॉल का काम पूर्ण नहीं हो पाया। नागपुर महानगर पालिका ने यह ठेका रद्द कर  बीओटी के आधार पर ऑरेंज सिटी मॉल प्रा. लि. को नए सिरे से ठेका दिया। इस कंपनी ने भी काम शुरू करने के बाद कुछ ही दिनों में काम बंद कर दिया। कारण बताया गया कि पर्यावरण विभाग की एनओसी न मिलने के कारण यह काम बंद किया गया है। यह कंपनी 2016 तक मॉल तैयार करने वाली थी जो नहीं हो सका आैर मंदिर के पास की जमीन पर खोदा गया गड्ढा जस का तस रहा। इससे मंदिर को लगातार नुकसान होने लगा। बचाव के लिए मंदिर प्रबंधन द्वारा दीवार के कुछ हिस्सों की मरम्मत करने का प्रयास किया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक जब तक मॉल के लिए खोदे गए गड्ढे को भरा नहीं जाता तब तक मंदिर की दीवारों में दरारें पड़ती रहेंगी।

इस तरह कटने से बच गए 38 पेड़

वहीं मेयो को मेडिकल सीट का कोटा बढ़ाने के लिए आधारभूत सुविधाओं को तैयार करना है। इसी प्रक्रिया में दो साल पहले प्रशासकीय इमारत बनाने के लिए कदम उठाए गए थे। इसके लिए मेयो और पीडब्ल्यूडी के संयुक्त सर्वेक्षण में 70 पेड़ों को काटने  का निर्णय लिया गया था। इस संबंध में उद्यान विभाग की अनुशंसा पर वृक्ष प्राधिकरण समिति ने इसे अनुमित दी थी। इसके लिए 3.85 लाख रुपए जमा करने और 70 पेड़ों की कटाई के बदले 5 गुना यानि 350 पौधों के रोपण का निर्देश भी दिया था। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया के चलते मेयो प्रशासन पेड़ों की कटाई के लिए राशि का भुगतान नहीं कर पाया था, जिसके चलते अनुमति को वैधता नहीं मिल पाई थी। 

इस साल के शुरू में मेयो प्रशासन ने मनपा को 3.80 लाख रुपए का भुगतान कर औपचारिक मंजूरी मांगी। यह प्रस्ताव अंतिम हस्ताक्षर के लिए आने पर आयुक्त अभिजीत बांगर ने आपत्ति उठायी। इतना ही नहीं 70 पेड़ों की कटाई के लिए दोबारा से सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी को सौंपी। अतिरिक्त आयुक्त जोशी, पर्यावरण कार्यकर्ता कौस्तुभ चटर्जी, उद्यान अधीक्षक अमोल चोरपगार ने स्थल निरीक्षण किया गया। इस दौरान करीब 38 पेड़ों को अनावश्यक रूप से काटने के लिए अनुमति मांगने का मामला उजागर हुआ। इसके बाद आयुक्त बांगर के निर्देश पर केवल 32 पेड़ों को ही कटाई करने की औपचारिक अनुमति दी गई। 

पिछले कुछ सालों से उपराजधानी में मेट्रो समेत कई विकास कार्य किये जा रहे हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार के प्रोजेक्ट को तय समय में पूरा करने के लिए धड़ल्ले से पेड़ों को काटा भी जा रहा है। संबंधित विभाग के प्रस्तावों पर मनपा का उद्यान विभाग और वृक्ष प्राधिकरण समिति कानूनी दायरों के भीतर शर्तों पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देता है। पेड़ों की कटाई के पहले दोनों विभागों को स्थल निरीक्षण कर विशेषज्ञों की राय लेना जरूरी है। लेकिन बगैर विशेषज्ञों की राय लिये वृक्ष प्राधिकरण समिति और उद्यान विभाग द्वारा पेड़ों को काटने की अनुमति दी जा रही है।

हाल ही में उद्यान विभाग और वृक्ष प्राधिकरण की लापरवाही का मामला सामने आया है। इसमें दो साल पहले मेयो प्रशासन को 70 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से मेयो प्रशासन पेड़ों की कटाई नहीं कर पाया था। इस साल दोबारा अनुमति के लिए आयुक्त अभिजीत बांगर के सामने प्रस्ताव भेजा गया। आयुक्त बांगर की ओर से दोबारा स्थल निरीक्षण कराने पर केवल 32 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई। इससे 38 पेड़ बलि चढ़ने से बच गए।

हाल ही में उद्यान विभाग और वृक्ष प्राधिकरण की लापरवाही का मामला सामने आया है। इसमें दो साल पहले मेयो प्रशासन को 70 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से मेयो प्रशासन पेड़ों की कटाई नहीं कर पाया था। इस साल दोबारा अनुमति के लिए आयुक्त अभिजीत बांगर के सामने प्रस्ताव भेजा गया। आयुक्त बांगर की ओर से दोबारा स्थल निरीक्षण कराने पर केवल 32 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई। इससे 38 पेड़ बलि चढ़ने से बच गए।

Created On :   2 Jun 2019 1:20 PM GMT

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