एक गांव ऐसा भी, यहां कई दशकों से है शराबबंदी !

Know why not sell alcohol?
एक गांव ऐसा भी, यहां कई दशकों से है शराबबंदी !
एक गांव ऐसा भी, यहां कई दशकों से है शराबबंदी !

डिजिटल डेस्क,मंडला. प्रदेश में शराबबंदी की मांग उठ रही है, लेकिन मंडला जिले के मलपठार गांव में कई दशकों से शराबबंदी है। पूर्वजों ने गांव में शांति बनाए रखने और अपराध न हो इसके लिए शराबबंदी कराई थी। उनका यह सपना काफी हद तक साकार भी होता दिख रहा है,क्योंकि शराबंबदी के कारण गांव में कोई विवाद नहीं होता। ग्राम मलपठार की कुल जनसंख्या 297 है। वनांचल में बसे आदिवासी बाहुल्य गांव में कच्ची शराब नहीं बनाई जाती है और न ही गांव में कोई शराब का सेवन करता है।

शराबबंदी से एकजुट गांव
मठपठार के ग्रामीणों ने कई दशक पहले ही शराब की बुराई को जान लिया था और गांव में शराब बंदी करा दी थी। गांव में रहने वाले तिवारी लाल विश्वकर्मा ने बताया है कि उनके पूवर्जो ने कई दशक पहले सिर्फ इसलिए शराबबंदी कराई थी कि ताकि गांव में शराब पीने के कारण पारिवारिक कलह, अशांति और गरीबी न बनी रहे। शराब के नशे में आपसी विवाद होते है। गांव की सुख शांति और समृद्धि के लिए उठाया गया कदम और पूर्वजों का सपना पूरा हो गया है। शराबबंदी होने से पूरे गांव में खुशहाली है। 

शराब पीने पर सजा
ग्राम के पंच करतारसिंह परते का कहना है कि पूर्वजों ने शराबंदी के लिए सख्ती बरती थी। नियम बनाया गया था कि जो भी शराब का सेवन करेगा उसे समाज से अलग कर दिया जाएगा। गांव का कोई भी व्यक्ति न उसके साथ बैठेगा और न ही बात करेगा। शराब का सेवन करने पर गांव में बहिष्कृत कर दिया जायेगा। इस डर से गांव में कोई भी ग्रामीण शराब पीने की हिम्मत नहीं करता। ग्रामीण बताते है कि पहले बाहर से आने वाली बारात में लोग शराब पीकर आ जाते थे। अब पहले से ही बता दिया जाता है कि शराबी बर्दाश्त नहीं होगे। जिसके कारण मलपठार में पूर्णरूप से शराबबंदी हो गई है। 

थाने में एक भी प्रकरण नहीं

हर गांव में मारमीट, जमीनी विवाद, हत्या, छेडख़ानी के मामले सामने आते है। लेकिन मलपठार में शराब बंदी के सकारात्मक परिणाम सामने आए है। यहां के महाराजपुर थाने में गांव का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं है। ग्राम की छोटीबाई, गिंदियाबाई, शीलकुमार उइके, ज्ञानसिंह बताते है कि शराबबंदी के कारण ग्राम में जागरूकता है। अगर कभी कोई ग्रामीणों के बीच मनमुटाव होता है तो आपसी सहमति से निपटा लिया जाता है। जिससे कभी थाने जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

वहीं महाराजपुर थाने में पदस्थ टीआई संदीप पवार का कहना है कि वो यहां आठ साल से पदस्थ है,लेकिन गांव में आज तक कोई विवाद नहीं हुआ। गांव में कोई शराब नहीं पीता और न ही कच्ची शराब बनती है। ये गांव सभी के लिए आदर्श औक एक मिसाल है।

Created On :   7 July 2017 4:41 PM IST

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