कुसुम योजना कंपोनेंट-ए किसानों की बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की खरीद के लिए अनुबंध

Kusum Yojana Component-A contract for purchase of electricity produced from solar energy on wastelands of farmers
कुसुम योजना कंपोनेंट-ए किसानों की बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की खरीद के लिए अनुबंध
कुसुम योजना कंपोनेंट-ए किसानों की बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की खरीद के लिए अनुबंध

डिजिटल डेस्क, जयपुर। 24 जुलाई। कुसुम योजना के तहत प्रदेश के कृषकों की अनुपयोगी अथवा बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की खरीद के लिए 7 कृषकों एवं विकासकर्ताओं तथा राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के मध्य ‘‘विद्युत क्रय अनुबंध‘‘ (पावर परचेज एग्रीमेंट) शुक्रवार को किया गया। इस अवसर पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव एवं अध्यक्ष राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम, श्री अजिताभ शर्मा ने बताया कि हाल ही में कुसुम योजना कंपोनेंट-ए के अंतर्गत प्रदेश के 623 कृषकों, विकास कर्ताओं को 722 मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हेतु आवंटन पत्र जारी किए गए थे, उन्होंने बताया कि प्रदेश के तीन जिलों अलवर, सीकर एवं पाली के 7 कृषकोेंं एवं राजस्थान डिस्कॉम्स की ओर से राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एम.एम.रणवा द्वारा कुल 10.50 मेगावॉट क्षमता के विद्युत क्रय अनुबंध निष्पादित किए गए। इस योजना में चयनित कृषकों एवं विकासकर्ताओं के सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित विद्युत को 3.14 रुपये प्रति यूनिट की दर से 25 वर्ष तक क्रय किए जाने हेतु विद्युत क्रय अनुबंध किये गये हैं। श्री शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा प्रदेश के कृषकों के हितों को देखते हुए बजट घोषणा 2019-20 में आगामी तीन वर्षो में कुल 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट कृषकों की बंजर अथवा अनुपयोगी भूमि पर स्थापित कर उनसे उत्पादित विद्युत क्रय किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं, जिसमें 722 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत खरीद हेतु सफल 623 कृषकों, विकास कर्ताओं से पावर परचेज एग्रीमेंट निष्पादित किये जाने की प्रक्रिया आज से प्रारंभ कर दी गई है तथा शेष 1878 मेगावॉट क्षमताओं की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हेतु आगामी चरण की कार्यवाही जल्दी ही प्रारंभ कर दी जावेगी। राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्री अनिल गुप्ता ने बताया कि संपूर्ण भारत में राजस्थान ही ऎसा पहला राज्य है, जहां इतनी शीघ्रता से कृषकों विकासकर्ताओं का चयन कर उनके साथ पी.पी. ए की कार्यवाही निष्पादित की गई है। निगम के प्रबंध निदेशक ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत किसानों एवं विकासकर्ताओं द्वारा स्वयं की अनुपयोगी या बंजर भूमि पर 0.5 से 2 मेगावॉट क्षमता तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा सकती है। इससे किसानों को उनकी बंजर भूमि से 25 वर्ष तक नियमित आय प्राप्त होगी। इसके साथ ही प्रदेश के किसानों को दिन के समय कृषि कार्य हेतु विद्युत आपूर्ति करने में बड़ी सफलता मिलेगी। इसके अतिरिक्त वितरण निगमों की विद्युत छीजत में तथा विस्तार पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।

Created On :   27 July 2020 4:05 PM IST

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