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काम की तलाश में पलायन कर रहे मजदूर - मनरेगा मजदूरी के साल भर से 9 करोड़ बकाया
डिजिटल डैस्क सीधी। मनरेगा योजना के 9 करोड़ 62 लाख रूपए पिछले साल भर से शेष है। राशि के अभाव में सामग्री और मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि सीधी और सिहावल जनपद में 4 करोड़ 36 लाख से ज्यादा की राशि अटकी हुई है तो शेष जनपदों में डेढ़-डेढ़ करोड़ की राशि भुगतान के लिए मांगी जा चुकी है।मनरेगा योजना से जब तक निर्माण कार्य किए जाते रहे हैं तब तक जिले से मजदूरों का पलायन कम ही होता रहा है।
मनरेगा के चलते स्थिति यह रही कि गैर सरकारी कार्यों के लिए मजदूर ढूंढ़े नहीं मिलते थे किंतु अब तो मजदूरों को काम ढूंढऩे से नहीं मिल रहा है। काम के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूर पलायन करने को विवश देखे जा रहे हैं। बता दें कि मजदूरी के लिए दूसरे प्रदेशों में गए कई मजदूर तो बंधक बने रहने की स्थिति से गुजर चुके हैं। कुल मिलाकर जिन मजदूरों के पास खेती किसानी के कार्य नहीं हैं वे रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2017-18 के भुगतान को देखें तो 9 करोड़ 62 लाख से ऊपर की राशि शेष पड़ी हुई है। जानकारी के मुताबिक जनपद क्षेत्र कुसमी में 1 करोड़ 53 लाख 93 हजार, मझौली जनपद में 1 करोड़ 77 लाख 5 हजार, रामपुर नैकिन जनपद में 1 करोड़ 93 लाख 6 हजार, सीधी जनपद में 2 करोड़ 11 लाख 27 हजार तो सिहावल जनपद क्षेत्र में 2 करोड़ 25 लाख 89 हजार रूपए भुगतान के पड़े हुए हैं। पिछले साल भर से लंबित भुगतान के एक भी रूपए रिलीज नहीं किए गए हैं।
जनपदों द्वारा काम कराने के बाद लेबर बजट तो प्रस्तुत किया गया लेकिन पूरे वित्तीय वर्ष में एक धेला भी नहीं मिला है। नया वित्तीय वर्ष शुरू हुए महीने भर हो रहे हैं लेकिन बजट की अभी तक कोई गुंजाइस नहीं दिख रही है। बताया जाता है कि लंबित भुगतान की मांग को लेकर बराबर लिखापढ़ी की जा रही है लेकिन कहीं से भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
प्रधानमंत्री आवास निर्माण मजदूरी का बनी सहारा
मनरेगा के पिछले चार-पांच माह से काम पूरी तरह से बंद हैं। वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास निर्माण ही मजदूरों के लिए मजदूरी का सहारा बनी हुई है। प्रधानमंत्री आवास में काम करने पर 16 हजार रूपए की मजदूरी दी जा रही है। हालांकि इसके बाद भी मजदूरों को पर्याप्त काम नहीं मिल पा रहा है। कारण यह कि मजदूरी की लालच में जो खुद काम कर रहे हैं उनके यहां दूसरे मजदूर काम नही ंपा रहे जबकि जिन पीएम आवासों का निर्माण ठेके पर कराया जा रहा केवल वहीं भर मजदूरी कर रहे हैं।
अब सामग्री का होता है भुगतान
मनरेगा योजना में अब मटेरियल का भुगतान जनपदों द्वारा किया जाता है। मजदूरी भुगतान सीधे श्रमिकों के खाते में भेज दी जाती है। मस्टर रोल तैयार करने के बाद जैसे ही उपस्थिती की जानकारी ऊपर भेजी जाती है वैसे ही कुछ दिनों बाद भुगतान कर दिया है ।
Created On :   27 April 2018 1:17 PM IST